नई दिल्ली, 1 जुलाई। कोरोना संक्रमण के कम होते प्रकोप के बीच यूरोप यात्रा की इच्छा रखने वाले भारतीयों को उस समय राहत की खबर मिली, जब यूरोपीय यूनियन (ईयू) से जुड़े आठ देशों के अलावा स्विट्जरलैंड ने भारत निर्मित कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड को स्वीकृति प्रदान कर दी। पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की इस वैक्सीन को अनुमति प्रदान करने वाले ईयू से जुड़े आठ देशों में ऑस्ट्रिया, जर्मनी, स्लोवेनिया, यूनान, आइसलैंड, आयरलैंड, स्पेन व एस्टोनिया शामिल हैं।
इसके साथ ही यूरोपीय संघ की ओर से भारतीय वैक्सीन कोविशील्ड लगवाने वालों को ग्रीन पास न देने पर मचा बवाल अब थम गया है। ज्ञातव्य है कि ईयू की ओर से कोविशील्ड को मंजूरी नहीं दी गई थी, जिससे इस वैक्सीन को लगवाने वालों को ग्रीन पास नहीं मिल रहा था। इस मामले को भारत सरकार ने बेहद गंभीरता से लिया।
पूनावाला ने समस्या के जल्द समाधान की जताई थी उम्मीद
सीरम इंस्टीट्यूट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला ने गत 26 जून को कहा था कि उन्होंने कोविशील्ड का टीका लगवाने वाले भारतीयों को यूरोपीय संघ की यात्रा के दौरान आ रही समस्या का मसला यूरोपीय संघ के उच्चतम स्तर पर उठाया है और इसके जल्द ही समाधान की उम्मीद है।
पूनावाला ने एक ट्वीट में कहा था, ‘मुझे पता चला कि कोविशील्ड लेने वाले बहुत से भारतीयों को यूरोपीय संघ की यात्रा को लेकर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। मैं सभी को विश्वास दिलाता हूं कि मैंने इसे उच्चतम स्तर पर उठाया है और उम्मीद है कि इस मामले को जल्द ही नियामकों और राजनयिक स्तर पर हल कर लिया जाएगा।
ज्ञातव्य है कि कोविशील्ड वैक्सीन का विकास ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्राजेनेका ने किया है और इसे पुणे स्थित वैक्सीन विनिर्माता द्वारा भारत में बनाया जा रहा है। ईयू ने अब तक एस्ट्राजेनेका, ऑक्सफोर्ड द्वारा विकसित वैक्सजेवरिया को ही मान्यता दी थी।