लाहौर, 28 अक्टूबर। पाकिस्तान सरकार की ओर से तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (एलटीपी) को आतंकवादी संगठन घोषित करने के बाद एलटीपी कार्यकर्ताओं और पुलिस कर्मियों के बीच झड़प में चार पुलिसकर्मियों सहित आठ लोगों की मौत हो गयी और अन्य 263 घायल हो गए हैं।पंजाब पुलिस महानिदेशक (आईजीपी) राव सरदार अली खान ने बुधवार को कहा कि टीएलपी प्रदर्शनकारी ने पुलिसकर्मियों पर गोली चलाई, जिसमें कम से कम चार लोग और चार पुलिस कर्मियों की मौत हो गयी है तथा अन्य 263 घायल हुए हैं। एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने आईजीपी के हवाले से बताया कि यह कोई पहली बार नहीं हुआ है कि प्रतिबंधित समूह ने पुलिस बल पर हमला किया हो। उन्होंने हमेशा अधिकार को चुनौती दी है और हिंसा की रणनीति अपनाते है।
इमरान खान ने सवाल किया, “वर्ष 2017 में टीएलपी ने फैजाबाद में धरना दिया। क्या कोई इस तरह की अनुमति दे सकता है कि एक समूह पूरे प्रांत को बंधक बना ले और लोगों से अपराध करना शुरू करे और फिर जब राज्य ने उस अपराधी को दंडित किया हो। उनको निर्दोष माना कर रिहा किया जाना जाए। उन्होंने जेल में बंद टीएलपी कार्यकर्ताओं को रिहा करने के पहले के फैसले पर सरकार को भी आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि क्या देश ऐसा अपना कानून बना सकता है। उन्होंने सवाल किया प्रतिबंधित समूह की इच्छा के अनुसार उन्हें अंदर और बाहर करने फैसला किया जा सकता है।
आईजीपी ने कहा, “पंजाब के हर नागरिक की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है। हम हर कीमत पर कानून को लागू करना सुनिश्चित करेंगे।” इस बीच द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार सिंध विधानसभा के एक टीएलपी एमपीए ने कहा है कि उनके चार सदस्यों की पुलिस की यातना और गोली से मौत हो गई। उन्होंने कहा कि सुरक्षा एजेंसी विरोध प्रदर्शन कवर करने वाले पत्रकारों को परेशान कर रही हैं। यह घटना तब हुई जब देश के गृह मंत्री शेख राशीद अहमद ने कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए पंजाब प्रांत में 60 दिनों के लिए रेंजर्स की तैनाती की घोषणा की।