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भारत का तुर्किये को कड़ा संदेश – ‘पाकिस्तान से आतंकवाद को समर्थन बंद करने को कहें’

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नई दिल्ली, 22 मई। भारत ने पाकिस्तान का समर्थन करने पर तुर्किये को कड़ा संदेश दिया है और उम्मीद जताई है कि वह पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद को समर्थन बंद करने और आतंकवादी तंत्र के खिलाफ काररवाई करने का ‘दृढ़तापूर्वक आग्रह’ करेगा।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार को साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि तुर्किये पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद को अपना समर्थन बंद करने और दशकों से उसके द्वारा पोषित आतंकी पारिस्थितिकी तंत्र के खिलाफ विश्वसनीय और सत्यापन योग्य काररवाई करने का पुरजोर आग्रह करेगा।’ उन्होंने कहा कि संबंध एक-दूसरे की चिंताओं के प्रति संवेदनशीलता के आधार पर बनते हैं।

नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो द्वारा तुर्किये द्वारा स्थापित सेलेबी एविएशन प्राइवेट लिमिटेड की, जो नौ हवाई अड्डों पर ग्राउंड-बेस्ड सेवाएं संभालती है, सुरक्षा मंजूरी रद करने के बारे में पूछे गए सवाल पर जायसवाल ने कहा कि इस मुद्दे पर भारत में तुर्किये दूतावास के साथ चर्चा की गई है। लेकिन मैं समझता हूं कि यह विशेष निर्णय नागरिक उड्डयन सुरक्षा द्वारा लिया गया है…।’

विदेश मंत्रालय की यह टिप्पणी भारत और तुर्किये के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बीच आई है, जिसकी शुरुआत तुर्किये द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी शिविरों पर भारत के हमलों की निंदा करने वाली टिप्पणी से हुई है। पाकिस्तान ने भारत के साथ सैन्य संघर्ष के दौरान बड़े पैमाने पर तुर्किये के ड्रोन का भी इस्तेमाल किया था।

चीन को संदेश पर विदेश मंत्रालय का बयान

ब्रीफिंग के दौरान रणधीर जायसवाल ने गत 10 मई को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई बातचीत के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा, ‘हमारे एनएसए और चीनी विदेश मंत्री और सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधि वांग यी ने 10 मई, 2025 को एक-दूसरे से बात की थी। तब एनएसए ने पाकिस्तान से उत्पन्न सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृढ़ रुख से अवगत कराया था।’

उन्होंने कहा, ‘चीनी पक्ष अच्छी तरह जानता है कि आपसी विश्वास, आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता भारत-चीन संबंधों का आधार बने हुए हैं।’ चीनी सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, बातचीत के दौरान डोभाल ने वांग से कहा कि युद्ध भारत का विकल्प नहीं है, लेकिन पहलगाम हमले के बाद नई दिल्ली को आतंकवाद विरोधी काररवाई करने की जरूरत है।

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