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भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत अगले वर्ष नौसेना के बेड़े में शामिल किया जाएगा : राजनाथ

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कोच्चि, 25 जून। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत (आईएसी) को अगले वर्ष नौसेना के बेड़े में शामिल किया जाएगा। नौसेना की ओर से तैयार किया जा रहा यह युद्धपोत अपने निर्माण के अंतिम चरण में है। नौसेना के बेड़े में शामिल होने पर इसे आईएनएस विक्रांत के नाम से जाना जाएगा।

देश की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर यह बड़ा तोहफा होगा

राजनाथ ने शुक्रवार को यहां कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड का दौरा किया, जहां देश के पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएसी की निर्माण प्रक्रिया जारी है। उन्होंने युद्धपोत के निर्माण कार्य की प्रगति की समीक्षा करने के बाद इसे भारत का गौरव और आत्मनिर्भर भारत का एक बेहतरीन उदाहरण करार दिया। उन्होंने कहा कि आईएसी को अगले वर्ष बेड़े में शामिल करना भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर एक बड़ा तोहफा होगा। इससे समुद्र में नौसेना की ताकत काफी बढ़ जाएगी। यह भारत के हितों की सुरक्षा करने वाला होगा।

रक्षा मंत्रालय की एक विज्ञप्ति के अनुसार रक्षा मंत्री राजनाथ नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह के साथ गुरुवार की शाम दक्षिणी नौसेना कमान पहुंचे थे। कमान की यह उनकी प्रथम यात्रा है। रक्षा मंत्री ने निर्माणाधीन स्वदेशी एयरक्रॉफ्ट करिअर पर सवार होकर इसका जायजा लिया।

जल्द ही समुद्र में शुरू होगा परीक्षण

निर्माण के अंतिम चरण से गुजर रहे इस युद्धपोत का अगले कुछ महीनों में समुद्र में परीक्षण शुरू होगा। इस युद्धपोत का डिजाइन भारतीय नौसेना के डाइरेक्टरेट ऑफ नेवल डिजायन (डीएनडी) ने किया है। इस युद्धपोत ने अपना बेसिन ट्रायल नवंबर, 2020 में पूरा किया था।

इसके पहले गुरुवार को रक्षा मंत्री ने ‘प्रोजेक्ट सीबर्ड’ के तहत जारी बुनियादी ढांचा विकास कार्यों की समीक्षा की। इस मौके पर उन्होंने कहा की ‘प्रोजेक्ट सीबर्ड’ के तहत यहां विकसित किया जा रहा नौसेना अड्डा एशिया में सबसे बड़ा होना चाहिए और जरूरत पड़ने पर इसके लिए वह बजट आवंटन बढ़ाने का प्रयास करेंगे।

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