नई दिल्ली, 30 जनवरी। भारतीय पुरुष हॉकी टीम के मुख्य कोच ग्राहम रीड ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। ओडिशा में रविवार को संपन्न 15वें एफआईएच हॉकी पुरुष विश्व कप में मेजबान भारत के खराब प्रदर्शन के बाद रीड ने यह फैसला किया।
गौरतलब है कि भारतीय टीम टूर्नामेंट में नौवें स्थान पर रही। हालांकि मेजबानों ने टूर्नामेंट में विजयी आगाज किया था और लीग दौर में अपराजेय रहते हुए वे चार टीमों के ग्रुप में दूसरे स्थान पर रहे थे। लेकिन क्वार्टर फाइनल में प्रवेश के लिए खेले गए क्रॉसओवर मैच में न्यूजीलैंड के हाथों मिली शिकस्त ने उन्हें नॉकआउट दौर से बाहर कर दिया था।
एनालिटिकल कोच और साइंटिफिक एडवाइजर भी हटे
हॉकी इंडिया द्वारा जारी बयान के अनुसार रीड ने हॉकी इंडिया के अध्यक्ष दिलीप टिर्की को विश्व कप खत्म होने के एक दिन बाद इस्तीफा सौंपा। टिर्की और हॉकी इंडिया के महासचिव भोलानाथ सिंह ने टीम के प्रदर्शन पर चर्चा के लिए रीड और अन्य सहयोगी स्टाफ से मुलाकात की थी। उनके अलावा एनालिटिकल कोच ग्रेग क्लार्क और साइंटिफिक एडवाइजर मिचेल डेविड पेम्बरटन ने भी अपना पद छोड़ दिया है।
रीड के निर्देशन में भारत ने टोक्यो ओलंपिक व बर्मिंघम राष्ट्रकुल खेलों में जीते पदक
रीड भारतीय टीम के साथ 2019 में जुड़े थे। उनके नेतृत्व में भारत ने टोक्यो ओलंपिक 2020 में कांस्य पदक जबकि कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में रजत पदक हासिल किया था। रीड ने पद छोड़ने के बाद कहा, ‘अब मेरे लिए अलग होने और अगले प्रबंधन को कमान सौंपने का समय आ गया है। टीम और हॉकी इंडिया के साथ काम करना सम्मान की बात है और मुझे बहुत मजा आया। मैंने इस शानदार यात्रा के हर पल का आनंद लिया है। मैं टीम को शुभकामनाएं देता हूं।’
दिलीप टिर्की बोले – नए दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ने का समय
रीड समेत तीनों के इस्तीफे स्वीकार करने के बाद हॉकी इंडिया के अध्यक्ष टिर्की ने कहा, ‘भारत हमेशा ग्राहम रीड और उनके सहयोगी स्टाफ के प्रति आभारी रहेगा, जिन्होंने देश के लिए अच्छे परिणाम लाने में मदद की, खासकर ओलंपिक गेम्स में। जैसा कि सभी यात्राएं अलग-अलग चरणों में आगे बढ़ती हैं। अब समय आ गया है कि हम एक नए दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ें।’
माना जा रहा है कि मानसिक अनुकूलन कोच नहीं होने से भारत के प्रदर्शन पर काफी असर पड़ा। रीड ने इसके लिए खुद को जिम्मेदार ठहाराया। उन्होंने हाल ही में कहा था, ‘इस विश्व कप में मेजबान होने के कारण टीम पर अतिरिक्त दबाव था। कई बार यह प्रक्रिया के अनुसार आगे बढ़ने में मुश्किलें पैदा करता है। मेरा ऐसा मानना है। मानसिक अनुकूलन कोच रखने पर चर्चा हुई थी, लेकिन उस समय मुझे नहीं लगा कि इसकी जरूरत है। मुझे लगा कि खिलाड़ियों की इस तरह की जरूरतों को पूरा करने के लिए मेरे पास पर्याप्त अनुभव है।’