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पेरिस ओलम्पिक : भारतीय हॉकी टीम कड़े संघर्ष में जर्मनी से परास्त, अब कांस्य पदक के लिए स्पेन से होगा सामना

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पेरिस, 6 अगस्त। भारतीय हॉकी टीम का नौवां ओलम्पिक स्वर्ण जीतने का स्वप्न एक बार फिर टूट गया, जब मंगलवार को यहां पेरिस 2024 के सेमीफाइल में हरमनप्रीत सिंह एंड कम्पनी को पेनाल्टी कॉर्नर न भुना पाने का खामियाजा भुगतना पड़ा और मौजूदा विश्व कप चैम्पियन जर्मनी ने कड़े संघर्ष में 3-2 की जीत से फाइनल में जगह बना ली।

पहले क्वार्टर में मिली बढ़त कायम नहीं रख सकी भारतीय टीम

गौर करने वाली बात यह रही कि यवेस-डु-मनोइर स्टेडियम में खेले गए सेमीफाइनल के पहले क्वार्टर में बढत बनाने के बावजूद भारतीय टीम लय कायम नहीं रख सकी। भारत के लिए सातवें मिनट में कप्तान हरमनप्रीत सिंह और 36वें मिनट में सुखजीत सिंह ने गोल किया जबकि आधे समय तक 2-1 से आगे रहे जर्मनी के लिए गोंजालो पिलाट ने 18वें, क्रिस्टोफर रूर ने 27वें और मार्को मिल्टकाउ ने 54वें मिनट में गोल दागे।

टोक्यो 2020 में जर्मनी को ही हराकर भारत ने जीता था कांस्य

यह जर्मनी ही था, जिसे टोक्यो 2020 में हराकर रिकॉर्ड आठ बार के चैम्पियन भारत ने कांस्य के रूप में 41 वर्षों बाद कोई पदक जीता था। फिलहाल FIH विश्व रैकिंग में छठे नंबर पर काबिज जर्मनी ने स्वयं से एक रैंक ऊपर भारतीय टीम से पिछला हिसाब चुकता कर दिया।

जर्मनी की अब नीदरलैंड्स से स्वर्ण के लिए होगी टक्कर

जर्मनी की अब गुरुवार, आठ अगस्त को विश्व नंबर एक नीदरलैंड्स से स्वर्ण पदक के लिए टक्कर होगी, जिसने दूसरे सेमीफाइनल में स्पेन को 4-0 से शिकस्त दे दी। उसी दिन भारत लगातार दूसरी बार कांस्य पदक जीतने के लिए स्पेन का सामना करेगा। उल्लेखनीय है कि विश्व नंबर आठ स्पेन ने क्वार्टर फाइनल में 3-2 की अप्रत्याशित जीत से गत विजेता बेल्जियम को बाहर का रास्ता दिखा दिया था।

12 पेनाल्टी कॉर्नर में सिर्फ दो भुना सका भारत

खैर, सेमीफाइनल मुकाबले की बात करें तो आठवीं व अंतिम बार मॉस्को 1980 में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीम का खेल बढ़ने के साथ जर्मन प्रत्याक्रमण के आगे बिखर सी गई। भारतीय डिफेंस छितराया नजर आया तो फॉरवर्ड पंक्ति दबाव में दिखी जबकि मिडफील्ड में भी कई गलतियां हुई। भारत को अपने अनुभवी फर्स्ट रशर अमित रोहिदास की भी कमी बुरी तरह खली, जो ब्रिटेन के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में मिले रेड कार्ड के कारण एक मैच का प्रतिबंध झेल रहे थे। और तो और मैच में 12 पेनाल्टी कॉर्नर मिले, लेकिन इनमें सिर्फ दो ही गोल में बदल सके। अंतत: पेनाल्टी कॉर्नर पर इतनी चूक का खामियाजा भी भुगतना पड़ा। ड्रैग फ्लिकर हरमनप्रीत ने इनमें अकेले आठ पेनाल्टी कॉर्नर गंवाए।

कप्तान हरमनप्रीत ने मौजूदा संस्करण में किया अपना 8वां गोल

भारत ने बेहद आक्रामक शुरुआत करते हुए दूसरे ही मिनट में पेनाल्टी कॉर्नर हासिल किया, जिस पर हरमनप्रीत का शॉट बचा लिया गया। अगले मिनट में फिर मिला पेनाल्टी कॉर्नर भी बेकार गया। सातवें मिनट में लगातार चार पेनाल्टी कॉर्नर मिले और चौथे को हरमनप्रीत ने गोल में बदला। भारतीय कप्तान का यह पेरिस ओलम्पिक में आठवां गोल था। कुल मिलाकर देखें तो पहले 15 मिनट में भारत ने दबदबा बनाए रखा और विरोधी गोल पर लगातार हमले बोले।

आधे समय तक जर्मनी ने 2-1 की बढ़त ले रखी थी

लेकिन दूसरे क्वार्टर में जर्मनी ने आक्रामक वापसी की और 18वें मिनट में मिले मैच के पहले ही पेनाल्टी कॉर्नर को पेलाट ने गोल में बदल दिया। इसके दो मिनट बाद भारत के सामने गोल करने का मौका था, लेकिन टूर्नामेंट में दो गोल कर चुके अभिषेक का निशाना गोल के ठीक सामने चूका। इस बीच जर्मनी को 27वें मिनट में मिला पेनाल्टी कॉर्नर वीडियो रेफरल पर पेनल्टी स्ट्रोक में बदला गया, जिसे रूर ने गोल में बदलकर अपनी टीम को मध्यांतर से पहले 2-1 की बढ़त दिला दी।

तीसरे क्वार्टर में सुखजीत ने शॉर्ट कॉर्नर पर भारत को बराबरी दिलाई

तीसरे क्वार्टर में भारत ने फिर आक्रामक शुरूआत की और पहले ही मिनट में पेनाल्टी कॉर्नर बनाया, लेकिन जर्मन डिफेंस ने हरमनप्रीत को रोकने के लिए अच्छा होमवर्क किया था। एक और पेनल्टी कॉर्नर पर हरमनप्रीत का पहला और रिबाउंड पर हार्दिक सिंह का प्रयास गोल में नहीं बदल सका। खैर, भारत को 36वें मिनट में मैच का 11वां पेनल्टी कॉर्नर मिला, जिस पर पहली बार वैरिएशन का इस्तेमाल किया गया तो जर्मन डिफेंस चकमा खा गया। हरमनप्रीत की फ्लिक को सुखजीत ने जर्मन गोल में डिफ्लैक्ट करके भारत को बराबरी दिलाई।

आखिरी क्वार्टर में गोली श्रीजेश ने कई अच्छे बचाव किए

आखिरी क्वार्टर में भारतीय डिफेंस में शुरुआती मिनटों में ही जर्मनी का शर्तिया गोल बचाया। पेनल्टी कॉर्नर पर पिलाट का पहला शॉट श्रीजेश ने बचाया, लेकिन गोल के सामने ही रिबाउंड पर दूसरा शॉट युवा डिफेंडर संजय ने बहुत मुस्तैदी से बाहर निकाला। जर्मनी को 51वें मिनट में फिर पेनाल्टी कॉर्नर मिला, लेकिन लुकास विंडफेडर के शॉट को श्रीजेश ने बचाया और गेंद को सर्कल से हरमनप्रीत ने बाहर निकाला।

इस बीच जर्मन स्ट्राइकर लगातार भारतीय गोल के भीतर ही गेंद को रखे हुए थे और तीन मिनट बाद मार्को मिल्टकाउ ने पिलाट के बेहतरीन पास पर उतनी ही खूबसूरती से स्टिक का कमाल दिखाकर गेंद को गोल के भीतर डाल दिया, जो जर्मनी के लिए निर्णायक गोल साबित हुआ।