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भारतीय वायुसेना की घोषणा : वर्ष 2025 तक सभी मिग-21 लड़ाकू विमान हो जाएंगे रिटायर

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नई दिल्ली, 29 जुलाई। मिग-21 क्रैश में दो जांबाज फ्लाइंग अधिकारियों को खोने के बाद भारतीय वायुसेना ने घोषणा  की है कि वह वर्ष 2025 तक पुराने हो चुके सभी रूसी मिग-21 लड़ाकू विमानों को धीरे-धीरे सेवा से बाहर कर देगी।

गौरतलब है कि गुरुवार की शाम राजस्थान के बाड़मेर में मिग-21 के टाइप 69 ट्रेनर विमान हादसे में फ्लाइट लेफ्टिनेंट ए. बाल और विंग कमांडर राणा की मृत्यु हो गई थी। वायुसेना ने इसके साथ ही यह भी कहा कि आगामी 30 सितंबर तक मिग-21 बाइसन विमान के एक और स्क्वाड्रन को सर्विस से हटा दिया जाएगा।

श्रीनगर एयरबेस पर तैनात 51 मिग-21 स्क्वाड्रन 30 सितंबर को रिटायर किए जाएंगे

वायुसेना के सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि आगामी 30 सितंबर को श्रीनगर एयरबेस पर तैनात कुल 51 मिग-21 स्क्वाड्रन को रिटायर कर दिया जाएगा। उसके बाद वायुसना के पास मिग-21 से कुल तीन स्क्वाड्रन सेवा में रह जाएंगे, जिन्हें धीरे-धीरे करके हर साल एक स्क्वाड्रन के हटाने के साथ उन्हें 2025 तक पूरी तरह सेवा से हटा दिया जाएगा।

अभिनंदन ने मिग-21 से ही पाकिस्तान का फाइटर प्लेन एफ-16 मार गिराया था

गौरतलब है कि 27 फरवरी, 2019 को पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक करने के लिए इन्हीं मिग-21 को प्रयोग किया गया था। उस अभियान में मिग-21 से दुश्मन सीमा में बम दागने के बाद भारतीय सीमा में लौट रहे विंग कमांडर (अब ग्रुप कैप्टन) अभिनंदन वर्धमान ने अमेरिका निर्मित पाकिस्तान के अत्याधुनिक फाइटर प्लेन एफ-16 को मार गिराया था। लेकिन उस दौरान तकनीकी दिक्कतों के कारण से उनका मिग क्रैश हो गया था और वह पैराशूट की मदद से पाकिस्तान की सरहद में उतरने के लिए मजबूर हो गए थे।

वायुसेना बेड़े में अब सू-30 और स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट शामिल होंगे

इस संबंध में वायुसेना के सूत्रों का दावा है कि मिग-21 द्वारा यह एकमात्र उदाहरण था, जब उसने हवा में हुई लड़ाई के दौरान अमेरिका के अत्याधुनिक एफ-16 को मार गिराया था। लेकिन हादसे की तेज होती रफ्तार को देखते हुए वायुसेना का स्पष्ट कहना है कि वो मिग-21 फाइटर जेट्स की जगह सू-30 और स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) को अपनी मजबूत प्रतिरोधी और आक्रामक रणनीति के तहत स्थान दे रहे हैं।

गुजरे 20 माह में 6 मिग-21 क्रैश, 5 पायलटों की मौत

मिग-21 के हादसों की बात करें तो गुजरे 20 महीनों में ऐसी छह विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं, जिनमें भारतीय वायुसेना के पांच फाइटर पायलटों की जान गई है। हादसे के बाद वायुसेना का कहना है कि मिग-21 की सेवा बहुत पहले बंद कर दी जानी थी, लेकिन लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस को वायुसेना में शामिल करने में हुई देरी के कारण इसे रखना पड़ा था।

राजस्थान में हुए हादसे के बाद वायुसेना के अधिकारियों का कहना है कि वायुसेना की किसी भी उड़ान से पहले ग्राउंड स्टॉफ के जरिए मिग-21 विमानों की व्यापक जांच की जाती है और साथ ही पायलट द्वारा उड़ान भरने से पहले सुरक्षा संबंधी सभी पहलुओं को गंभीरता से परखा जाता है, लेकिन उसके बाद भी हो रहे हादसे दुर्भाग्यपूर्ण हैं, जिनमें हमें अपने बहादुर फाइटर पायलटों की जान गंवानी पड़ रही है।