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भारत जल्द बनेगा ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर की राजधानी

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नई दिल्ली, 16जनवरी। भारत जल्द ही “ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (GCC) की राजधानी” बनने जा रहा है। देश में इस समय 1,700 से ज्यादा ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) हैं जिनमें 20 लाख से ज्यादा लोग काम कर रहे हैं। यह संख्या 2030 तक काफी बढ़ने की उम्मीद है। GCCs नई टेक्नोलॉजी जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा एनालिटिक्स, रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन, साइबरसिक्योरिटी, ब्लॉकचेन और वर्चुअल रियलिटी का इस्तेमाल करके नवाचार और रोजगार के नए अवसर पैदा कर रहे हैं।

शिक्षा और रोजगार के बीच की खाई को पाटने के लिए कौशल विकास जरूरी : मनसुख मांडविया

केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि शिक्षा और रोजगार के बीच की खाई को पाटने के लिए स्किल डेवलपमेंट (कौशल विकास) बहुत जरूरी है । उन्होंने कहा “हम भारत को एक ग्लोबल टैलेंट हब बना रहे हैं, जहां इनोवेशन और प्रैक्टिकल स्किल्स को बढ़ावा दिया जा रहा है। म्यूचुअल रिकग्निशन ऑफ स्किल्स एंड स्टैंडर्ड्स’ जैसी पहलें दुनिया में वर्कफोर्स की कमी को दूर करने में मदद करेंगी।”

डॉ. मांडविया ने यह भी कहा कि उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों को साथ मिलकर भारत की जरूरतों के मुताबिक स्किल डेवलपमेंट मॉडल बनाना चाहिए। उन्होंने कहा, “स्किलिंग का मकसद केवल सर्टिफिकेट देना नहीं बल्कि लोगों को उद्योग और स्वरोजगार के लिए व्यावहारिक ज्ञान से लैस करना होना चाहिए।

इस बीच श्रम और रोजगार मंत्रालय की सचिव सुमिता डावरा ने कहा कि बदलते दौर में तीन महत्वपूर्ण सवाल सामने आए हैं। पहला, डिजिटल कौशल से भरपूर कार्यबल कैसे तैयार करें जो तकनीकी रूप से उन्नत रोजगार बाजार में काम कर सके? दूसरा, ऐसा समावेशी कार्यबल कैसे बनाएं जिसमें विविधता को महत्व दिया जाए और सभी को समान अवसर मिले? तीसरा, जब उद्योग पर्यावरणीय स्थिरता को प्राथमिकता दे रहे हैं तो कार्यबल संस्कृति में इको-फ्रेंडली प्रथाओं और मूल्यों को कैसे शामिल किया जाए? उन्होंने यह भी कहा कि स्वास्थ्य, मैन्युफैक्चरिंग, लॉजिस्टिक्स और ग्रीन जॉब्स जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने के लिए कुशल और लचीले कार्यबल का होना जरूरी है। श्रम-प्रधान उद्योगों को मजबूत करने से ऐसे लोगों को भी अवसर मिल सकते हैं जो उन्नत शिक्षा तक पहुंच नहीं रखते।

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