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यूक्रेन-रूस विवाद : राजनयिक और शांतिपूर्ण समाधान  चाहता है भारत, नागरिकों की तत्काल निकासी की योजना नहीं

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नई दिल्ली, 17 फरवरी। रूस और यूक्रेन के बीच जारी विवाद के दौरान युद्ध के आशंकित खतरे को लेकर दुनिया के अन्य देशों की भांति चिंतित भारत ने कहा है कि इस विवाद का राजनयिक शांतिपूर्ण समाधान किया जाना चाहिए।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को मीडिया कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘भारत निरंतर राजनयिक बातचीत के माध्यम से तनाव और मुद्दे के समाधान के तत्काल डी-एस्केलेशन का समर्थन करता है। मिंस्क समझौतों के कार्यान्वयन के लिए नॉरमैंडी प्रारूप के तहत किए जा रहे प्रयासों का स्वागत है। हम स्थिति का राजनयिक और शांतिपूर्ण समाधान देखना चाहते हैं।’

गौरतलब है कि यूक्रेन को लेकर चल रहे तनाव के बीच कीव स्थित भारतीय दूतावास ने गत मंगलवार को भारतीय नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी कर यूक्रेन छोड़ने की सलाह दी है। इसी क्रम में कीव और नई दिल्ली में दो कंट्रोल रूम भी स्थापित किए गए हैं, जिसपर 24 घंटे संपर्क किया जा सकता है। इसी क्रम में नागर विमानन मंत्रालय ने यूक्रेन और भारत के बीच कोरोना के चलते उड़ानों पर लगा प्रतिबंध भी गुरुवार से हटा लिया है।

यूक्रेन के लिए अभी विशेष उड़ानें नहीं

फिलहाल अरिंदम बागची ने कहा कि यूक्रेन से भारतीय नागरिकों की तत्काल निकासी की कोई योजना नहीं है, इसलिए कोई विशेष उड़ानें नहीं हैं। हालांकि, एयर बबल व्यवस्था के तहत सीमित संख्या में उड़ानें थीं, उड़ानों और यात्रियों की संख्या पर प्रतिबंध हटा दिया गया था। भारतीय वाहकों को भारत-यूक्रेन के बीच चार्टर्ड उड़ानें संचालित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

विदेश नीति पर डॉ. मनमोहन सिंह का आरोप राजनीति से प्रेरित

यूक्रेन संकट से हटकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया, जिन्होंने पंजाब चुनाव के मद्देनजर गुरुवार को ही जारी एक वीडियो संदेश में सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा, ‘मेरे दृष्टिकोण से यह स्पष्ट रूप से एक राजनीतिक संदेश है। नीति नहीं… जहां तक चीन का संबंध है, मामले के तथ्य स्पष्ट हैं। मुझे उन्हें दोहराने की जरूरत नहीं है, हम चीन के साथ बातचीत की प्रक्रियाओं और कैसे स्थिति पैदा हुई है, इस पर चर्चा कर रहे हैं।’

पूर्व प्रधानमंत्री ने अपने वीडियो संदेश के जरिए भाजपा सरकार को घेरते हुए कहा था, ‘उन्हें (भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार) आर्थिक नीति की कोई समझ नहीं है। मामला देश तक सीमित नहीं है। यह सरकार विदेश नीति पर भी विफल रही है। चीन हमारी सीमा पर बैठा है और उसे दबाने की कोशिश की जा रही है।’