वॉशिंगटन, 25 अगस्त। भारत ने बुधवार को पहली बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में यूक्रेन मुद्दे पर ‘प्रक्रियात्मक वोट’ के दौरान रूस के खिलाफ मतदान किया। इसी वर्ष फरवरी में रूसी सैन्य काररवाई शुरू होने के बाद यह पहला मौका था, जब भारत ने यूक्रेन के मुद्दे पर रूस के खिलाफ मतदान किया। इसके पूर्व कई अवसरों पर नई दिल्ली ने यूक्रेन पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की वोटिंग में हिस्सा ही नहीं लिया था।
बैठक में यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की की वर्चुअल उपस्थिति को लेकर हुई वोटिंग
दरअसल, बुधवार को यूएनएससी ने यूक्रेन की स्वतंत्रता की 31वीं वर्षगांठ पर छह महीने पुराने संघर्ष का जायजा लेने के लिए एक बैठक की। जैसे ही बैठक शुरू हुई, संयुक्त राष्ट्र में रूसी राजदूत वसीली ए. नेबेंजिया ने वीडियो टेलीकॉन्फ्रेंस द्वारा बैठक में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की की भागीदारी के संबंध में एक प्रक्रियात्मक वोट का अनुरोध किया।
भारत सहित 13 देशों ने जेलेंस्की के पक्ष में की वोटिंग
इस पर यूएनएससी के 15 सदस्य देशों (5 स्थायी और 10 अस्थायी) में से भारत सहित 13 देशों ने जेलेंस्की को वीडियो टेली-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बैठक में भाग लेने के लिए वोट कर निमंत्रण दिया। ये सभी वोट रूस से खिलाफ थे। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि राजदूत रुचिरा कम्बोज ने यूक्रेन मसले पर अपने विचार भी रखे।
रूस ने ऐसे निमंत्रण के खिलाफ वोट किया, चीन वोटिंग से दूर
रूस ने इस तरह के निमंत्रण के खिलाफ मतदान किया जबकि चीन ने वोटिंग से परहेज किया। नेबेंजिया ने जोर देकर कहा कि रूस जेलेंस्की की भागीदारी का विरोध नहीं करता है, लेकिन ऐसी भागीदारी व्यक्तिगत रूप से होनी चाहिए।
यूक्रेन के खिलाफ हमले को लेकर भारत ने रूस की कभी आलोचना नहीं की
गौरतलब है कि अमेरिका सहित पश्चिमी देशों ने इस हमले के बाद रूस पर बड़े आर्थिक और अन्य प्रतिबंध लगाए हैं। वहीं भारत ने यूक्रेन के खिलाफ हमले को लेकर रूस की आलोचना नहीं की है। नई दिल्ली ने बार-बार रूसी और यूक्रेनी पक्षों से कूटनीति और बातचीत के रास्ते पर लौटने का आह्वान किया है और दोनों देशों के बीच संघर्ष को समाप्त करने के सभी राजनयिक प्रयासों के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया है। भारत वर्तमान में दो साल के कार्यकाल के लिए UNSC का एक अस्थायी सदस्य है। भारत की यह सदस्यता दिसम्बर में समाप्त होगी।