नई दिल्ली, 16 अक्टूबर। भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का वह दावा खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर देगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार को स्पष्ट किया, ‘भारत की प्राथमिकता अस्थिर ऊर्जा बाजार में अपने नागरिकों के हितों की रक्षा करना है। भारत एक बड़ा तेल और गैस आयातक है और हमारी आयात नीति इसी उद्देश्य से निर्देशित होती है। ऊर्जा की स्थिर कीमतें और सुरक्षित आपूर्ति हमारी ऊर्जा नीति के दो मुख्य लक्ष्य हैं।’
रणधीर जायसवाल ने एक बयान में कहा, ‘भारत तेल और गैस का एक बड़ा इंपोर्टर है। उतार-चढ़ाव वाले एनर्जी सिनेरियो में भारतीय कंज्यूमर के हितों की रक्षा करना हमारी हमेशा से प्राथमिकता रही है। हमारी इंपोर्ट पॉलिसी पूरी तरह से इसी मकसद से गाइड होती है।’
Our response to media queries on comments on India’s energy sourcing⬇️
🔗 https://t.co/BTFl2HQUab pic.twitter.com/r76rjJuC7A— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) October 16, 2025
उन्होंने कहा, ‘हमारी एनर्जी पॉलिसी के दो लक्ष्य रहे हैं, जिसमें पहली एनर्जी की स्थिर कीमतें और दूसरी सुरक्षित सप्लाई है। इसमें हमारी एनर्जी सोर्सिंग को बड़ा करना और मार्केट की स्थितियों के हिसाब से अलग-अलग तरह की सप्लाई करना शामिल है। जहां तक अमेरिका की बात है, हम कई सालों से अपनी एनर्जी खरीद को बढ़ाना चाहते हैं। पिछले दशक में इसमें लगातार प्रगति हुई है। मौजूदा एडमिनिस्ट्रेशन ने भारत के साथ एनर्जी कोऑपरेशन को गहरा करने में दिलचस्पी दिखाई है। बातचीत चल रही है।’
ट्रंप ने किया था ये दावा
भारत को यह स्पष्टीकरण ऐसे समय देना पड़ा है, जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि पीएम मोदी ने रूस से तल खरीदना बंद कर देने का उन्हें (ट्रंप को) भरोसा दिया है। ट्रंप ने कहा था, ‘मुझे भरोसा दिलाया है कि रूस से कोई तेल नहीं खरीदा जाएगा। वह इसे तुरंत नहीं कर सकते। यह थोड़ा प्रोसेस है, लेकिन यह प्रोसेस जल्द ही खत्म हो जाएगा।‘ गौरतलब है कि जब से यूक्रेन में युद्ध शुरू हुआ है, अमेरिका की अगुआई में पश्चिमी ताकतें रूस से तेल खरीदने पर आपत्ति जताती रही हैं।
विदेश मंत्री जयशंकर ने भी साफ किया भारत का रुख
हाल के दिनों में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर भी इस मामले में भारत का नजरिया साफ कर चुके हैं। उन्होंने कहा है कि वह सिर्फ अपने नागरिकों के लिए सबसे अच्छी डील पाने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने इस दौरान पश्चिम देशों के दोहरे रवैया की ओर भी इशारा करते हुए कहा था, ‘पश्चिमी देशों को इस सोच से बाहर निकलने की जरूरत है कि यूरोप की समस्याएं दुनिया की समस्याएं हैं, लेकिन दुनिया की समस्याएं यूरोप की समस्याएं नहीं हैं।’

