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भारत ने खारिज किया चीन का दावा, बोला – अरुणाचल भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा

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नई दिल्ली, 13 अक्टूबर। भारत सरकार ने चीनी मीडिया में जारी और चीन के अधिकृत प्रवक्ता के हालिया विवादित बयानों को खारिज करते हुए स्पष्ट तौर पर कहा है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का एक अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है।

भारत के किसी नेता की एक राज्य की यात्रा पर चीन की आपत्ति तर्क से परे

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची की ओर से बुधवार को जारी बयान में कहा गया, ‘हमने चीन के आधिकारिक प्रवक्ता द्वारा किए गए बयानों को देखा है। हम इन बयानों को अस्वीकार करते हैं। अरुणाचल प्रदेश भारत का एक अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है। जैसे भारतीय नेता भारत के किसी अन्य राज्य की यात्रा करते हैं, वैसे ही नियमित रूप से अरुणाचल प्रदेश राज्य की यात्रा करते हैं।’

द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन करे चीन

प्रवक्ता ने बयान में कहा, ‘भारतीय नेताओं की भारत के एक राज्य की यात्रा पर चीन की ओर से आपत्ति जताना, भारतीयों के तर्क और समझ से परे है। इसलिए, हम उम्मीद करते हैं कि चीनी पक्ष असंबंधित मुद्दों को जोड़ने की कोशिश करने के बजाय द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन करे। इसके साथ ही पूर्वी लद्दाख में एलएसी के साथ शेष मुद्दों के शीघ्र समाधान की दिशा में काम करें।’

अरुणाचल को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा बताता रहा है चीन

गौरतलब है कि चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा पेश करते हुए उसे दक्षिण तिब्बत का हिस्सा बताता है। हाल ही में चीन के प्रतिष्ठित ग्लोबल टाइम्स में छपे एक विवादित लेख में कहा गया था कि चीन अपने क्षेत्र को लेकर भारत से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेगा और युद्ध की स्थिति में वह भारत को हराने में कामयाब रहेगा।

उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू के अरुणाचल दौरे पर लिजियान ने भी जताया विरोध

इस लेख के बाद चीन के विदेश विभाग के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने भी विवादित बयान दे दिया। लिजियान ने कहा कि चीन अवैध रूप से बने तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को मान्यता नहीं देता है और भारत के उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू के इस क्षेत्र में किए गए दौरे का भी कड़ा विरोध करता है।

चीन ने इससे पहले भी अरुणाचल प्रदेश में आने वाली सभी हस्तियों को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वर्ष 2014 में पीएम मोदी भी अरुणाचल प्रदेश का दौरा कर चुके हैं। चीन ने उन सभी दौरों पर भी आपत्ति जताते हुए बयान जारी किया था।

स्मरण रहे कि भारत और चीन के बीच लद्दाख सीमा-विवाद को लेकर 13वें दौर की सीनियर सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता भी बेनतीजा रही है। चीन का कहना है कि भारत परिस्थिति का गलत आकलन कर रहा है और सीमा विवाद को लेकर भारत की मांगें अवास्तिवक हैं।

इस वर्ष जनवरी में भी अरुणाचल प्रदेश पर चीन ने किया था दावा

इससे पहले इस वर्ष जनवरी में भी ऐसी खबरें आई थीं कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश में गांव बना लिया है, जिसके बाद राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधा था। इस मामले में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा था, ‘चीन-भारत की सीमा के पूर्वी सेक्टर या जैंगनान (दक्षिणी तिब्बत) को लेकर चीन की स्थिति स्पष्ट है। हमने कभी भी चीनी क्षेत्र में अवैध रूप से बनाए गए कथित अरुणाचल प्रदेश को मान्यता नहीं दी। चीन का अपने क्षेत्र में निर्माण कार्य करना पूरी तरह से संप्रुभता का मामला है। चीन की अपने क्षेत्र में विकास और निर्माण से जुड़ीं गतिविधियां बिल्कुल सामान्य बात है।’

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