नई दिल्ली, 15 अक्टूबर। भारत ने कनाडा में घरेलू राजनीतिक लाभ के लिए भारतीय उच्चायुक्त और राजनयिकों को किसी आपराधिक मामले में जांच के सिलसिले में तलब किये जाने के मुद्दे पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारतीय उच्चायुक्त एवं राजनयिकों को वापस बुलाने तथा भारत से कनाडा के छह राजनयिकों को निष्कासित करने का निर्णय लिया है।
विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) जयदीप मजूमदार ने कनाडा उच्चायोग के प्रभारी को कल शाम तलब कर उन्हें दो टूक शब्दों में कहा कि उनके देश की एजेंसियों द्वारा अपने घरेलू राजनीतिक लाभ के लिए भारतीय राजनयिकों को निशाना बनाने से उनकी सुरक्षा को खतरा बढ़ गया है लिहाजा भारत सरकार ने उन्हें वापस बुलाने का फैसला किया है।
इसके कुछ घंटे बाद सोमवार की रात नई दिल्ली स्थित कनाडा के उच्चायोग के तैनात छह वरिष्ठ राजनयिकों को निष्कासित करने का फरमान जारी किया। जिन 6 कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित करने का निर्णय लिया है, उनमें कार्यवाहक उच्चायुक्त स्टीवर्ट रॉस व्हीलर, उप उच्चायुक्त पैट्रिक हेबर्ट, फर्स्ट सेकेट्ररी मैरी कैथरीन जोली, फर्स्ट सेकेट्ररी लैन रॉस डेविड ट्राइट्स, फर्स्ट सेकेट्ररी एडम जेम्स चुइप्का, फर्स्ट सेकेट्ररी पाउला ओरजुएला शामिल हैं।
उन्हें शनिवार, 19 अक्टूबर को मध्य रात्रि के पहले भारत छोड़ने के लिए कहा गया है। विदेश मंत्रालय ने इससे पहले जारी एक बयान में कहा कि कनाडाई उच्चायोग के प्रभारी को आज शाम सचिव (पूर्व) द्वारा तलब किया गया था। उन्हें बताया गया कि कनाडा में भारतीय उच्चायुक्त और अन्य राजनयिकों और अधिकारियों को आधारहीन निशाना बनाना पूरी तरह से अस्वीकार्य है।
कनाडा उच्चायोग के प्रभारी को यह रेखांकित किया गया कि उग्रवाद और हिंसा के माहौल में, जस्टिन ट्रूडो सरकार के कार्यों ने भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया। हमें उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की वर्तमान कनाडाई सरकार की प्रतिबद्धता पर कोई भरोसा नहीं है।
इसलिए, भारत सरकार ने उच्चायुक्त और अन्य लक्षित राजनयिकों और अधिकारियों को वापस बुलाने का फैसला किया है। यह भी बताया गया कि भारत के खिलाफ उग्रवाद, हिंसा और अलगाववाद के लिए ट्रूडो सरकार के समर्थन के जवाब में भारत आगे कदम उठाने का अधिकार सुरक्षित रखता है।