नई दिल्ली, 12 नवंबर। भारत निर्मित कोरोनारोधी टीका कोवैक्सीन इस वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाई में लगभग 78 फीसदी (77.8%) प्रभावी पाया गया है। हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक कम्पनी लिमिटेड ने कोवैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षण के आंकडों के आधार पर यह दावा किया है।
डब्ल्यूएचओ ने हाल ही में कोवैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दी है
गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने हाल ही में कोवैक्सीन को आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी दे दी है जबकि दुनिया के 17 देशों ने पहले ही इसे मंजूरी दे दी थी। इसके साथ ही कोवैक्सीन टीका डब्ल्यूएचओ द्वारा अनुमोदित फाइजर/बायोएनटेक, मॉडर्ना, एस्ट्राजेनेका, जॉनसन एंड जॉनसन, सिनोफार्म और सिनोवैक द्वारा निर्मित एंटीकोविड टीकों की लिस्ट में शामिल हो गया है।
द लैंसेट का रिव्यू : गंभीर लक्षणों वाले मरीजों में यह टीका 93.4% असरकारक
मेडिकल जर्नल ‘द लैंसेट’ की पीयर-रिव्यू में पाया गया है कि भारत बायोटेक द्वारा निर्मित कोवैक्सीन अत्यधिक सुरक्षित और प्रभावशाली है। सिम्पटॉमिक कोरोना मरीजों के खिलाफ कोवैक्सीन 77.8% असरदार पाई गई है। टीके की दोनों खुराक दिए जाने के दो सप्ताह बाद यह टीका एक मजबूत एंटीबॉडी रिस्पॉन्स उत्पन्न करता है।
द लैंसेट के अध्ययन में पाया गया है कि भारत की देसी वैक्सीन न सिर्फ कोविड19 के खिलाफ सुरक्षित और असरदार है बल्कि यह डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ भी 65.2 फीसदी असरदार है। इतना ही नहीं गंभीर सिम्टोमेटिक कोविड19 के खिलाफ कोवैक्सीन 93.4 फीसदी असरदार है।
दरअसल, कोवैक्सीन के फेज तीन ट्रायल डेटा में किसी तरह की सुरक्षा के चिंता की बात नहीं कही गई है। देश में 25 जगहों पर कोवैक्सीन के तीसरे चरण का परीक्षण 18 से 98 वर्ष की आयु के बीच के 25,798 लोगों पर किया गया। इन लोगों पर कोवैक्सीन के ट्रायल के दौरान वैक्सीन से संबंधित मौत या कोई भी गंभीर प्रतिकूल घटनाएं दर्ज नहीं की गईं।