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बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेल : भारोत्तोलन में भारत को दूसरा स्वर्ण, जेरेमी लालरिननुंगा ने 67 किग्रा में नए रिकॉर्ड के साथ बाजी मारी

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बर्मिंघम, 31 जुलाई। भारतीय भारोत्तोलक जेरेमी लालरिननुंगा ने 22वें राष्ट्रमंडल खेलों में रविवार को यहां पुरुषों की 67 किलोग्राम भार वर्ग में नए रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक जीत लिया। भारोत्तोलन स्पर्धा में भारत के लिए यह दूसरा स्वर्ण है। शनिवार को मीराबाई चानू ने 49 किलो वर्ग में कामयाबी हासिल की थी।

भारत के खाते में अब तक 2 स्वर्ण सहित 5 पदक

चार वर्ष पूर्व गोल्ड कोस्ट खेलों में पांच स्वर्ण सहित नौ पदक जीतने वाला भारत इस बार अब तक पांच पदक जीत चुका है, जिनमें दो स्वर्ण, दो रजत व एक कांस्य शामिल हैं। इससे पहले मीराबाई चानू (स्वर्ण), संकेत महादेव सरगर (रजत), बिंदियारानी देवी (रजत) और गुरुराज पुजारी (कांस्य) ने शनिवार को पदक जीते थे।

300 किलो भार उठाकर राष्ट्रकुल खेलों का नया रिकॉर्ड बनाया

मिजोरम के 19 वर्षीय लिफ्टर जेरेमी लालरिननुंगा ने फाइनल में रिकॉर्डतोड़ 300 किलोग्राम भार उठाकर स्वर्ण पदक के साथ इतिहास रच दिया। उन्होंने स्नैच कैटेगरी में रिकॉर्ड 140 किग्रा और क्लीन एंड जर्क कैटेगरी में 160 किग्रा की लिफ्ट हासिल की थी, जो कॉमनवेल्थ गेम्स में एक रिकॉर्ड है। समोआ के वेइपावा नीवो इयोन 293 किग्रा (127 किग्रा और 166 किग्रा) और नाइजीरिया के इडिडियोंग जोसेफ उमोआफिया 290 किग्रा (130 किग्रा और 160 किग्रा) ने क्रमश: रजत और कांस्य पदक मिला।

स्नैच में भी 140 किलो का नया कीर्तिमान

आइजोल के लालरिननुंगा ने लीडरबोर्ड के शीर्ष पर जाने के अपने पहले स्नैच प्रयास में 136 किग्रा सफलतापूर्वक उठाया। उन्होंने दूसरे प्रयास में 140 किग्रा भार उठाकर राष्ट्रमंडल खेलों का नया रिकॉर्ड बनाया। इसके बाद अपने अंतिम प्रयास में 143 किग्रा भार उठाकर उन्होंने इस रिकॉर्ड को बेहतर करने की कोशिश की, लेकिन असफल रहे।

क्लीन एंड जर्क में जेरेमी ने 154 और फिर 160 किलो वजन उठाया, लेकिन 165 किलो पर उनकी तीसरी कोशिश नाकाम रही। क्लीन एवं जर्क के प्रयास के दौरान दो बार वह काफी दर्द में दिखे। फिलहाल अंत में रिकॉर्डतोड़ सफलता उनके हाथ लगी।

यूथ ओलंपिक गेम्स राष्ट्रकुल चैंपियनशिप में भी जीत चुके हैं जेरेमी

राष्ट्रीय स्तर के मुक्केबाज लालनेहतलुआंगा के बेटे जेरेमी ने मुक्केबाजी में भी हाथ आजमाए थे, लेकिन भारोत्तोलन से जुड़ गए क्योंकि इसमें सफल होने के लिए सिर्फ ताकत की जरूरत थी, जिससे वह इसके प्रति आकर्षित हुए। वह 2018 में यूथ ओलंपिक गेम्स (ब्यूनस आयर्स) और पिछले वर्ष राष्ट्रकुल चैंपियनशिप (ताशकंद) में भी स्वर्ण जीत चुके हैं।

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