नई दिल्ली, 2 अप्रैल। भारत ने भीषण आर्थिक संकट से जूझ रहे पड़ोसी देश श्रीलंका की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया है। इस क्रम में 40 हजार टन डीजल की खेप श्रीलंका के तटों तक पहुंच चुकी है जबकि अब 40 हजार टन चावल की खेप भेजने की तैयारी की जा रही है।
भारत ने जारी की है एक अरब डॉलर की क्रेडिट लाइन
दरअसल, भारत ने 1948 में ब्रिटेन से आजाद होने के बाद अब तक का सबसे गंभीर आर्थिक संकट झेल रहे श्रीलंका के लिए एक अरब डॉलर की क्रेडिट लाइन यानी ऋण सहायता देने पर
इसी क्रेडिट लाइन के तहत ही आवश्यक खाद्य वस्तुओं के 1500 कंटेनर रिलीज भी हो चुके हैं, लेकिन कई शिप ऑपरेटर भारतीय मुद्रा में भुगतान लेने के लिए तैयार नहीं है। कुछ शिप ऑपरेटर अमेरिकी डॉलर में भुगतान मांग रहे हैं जबकि भारतीय दूतावास से भी कुछ औपचारिकताएं पूरी होनी बाकी हैं।
लोड हो रहा 40 हजार टन चावल
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार श्रीलंका को भेजने के लिए भारत में व्यापारियों ने 40 हजार टन चावल की लोडिंग शुरू कर दी है। भारत से क्रेडिट लाइन मिलने के बाद यह श्रीलंका को भेजी जानी वाली अपनी तरह की पहली खाद्यान्न मदद है। दुनिया के सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश भारत से चावल की खेप श्रीलंका पहुंचने के बाद वहां चावल की कीमतों में कमी आने की उम्मीद है, जो बीते एक साल में दोगुना बढ़ चुकी हैं।
श्रीलंका में आपातकाल के साथ पुलिस कर्फ्यू भी लागू
गौरतलब है कि श्रीलंका के बिगड़े हालातों को देखते हुए राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने शुक्रवार, एक अप्रैल से देश में आपातकाल लागू कर दिया है। इसके साथ ही देशभर में पुलिस कर्फ्यू भी लागू किया गया है।
श्रीलंका की आर्थिक बदहाली का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि कोलंबो में 13-13 घंटे के पावर कट से जूझ रही जनता सड़कों पर उतर आई है और राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग कर रही है। लोगों के पास खाने-पीने की चीजें नहीं हैं और और वे तोड़-फोड़ के साथ हिंसक प्रदर्शन कर रहे हैं। राष्ट्रपति कार्यालय से जारी आदेश में कहा गया है कि देश में कानून व्यवस्था कायम रखने, आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई को जारी रखने के लिए आपातकाल लगाना जरूरी हो गया है।
श्रीलंका के विदेशी मुद्रा भंडार में बीते दो वर्षों में 70% से ज्यादा की गिरावट
2.2 करोड़ की आबादी वाले श्रीलंका के विदेशी मुद्रा भंडार में बीते दो वर्षों में 70% से ज्यादा की गिरावट आई है। इस वजह उसे अपनी जरूरत की अनिवार्य वस्तुओं का आयात करने में भी दिक्कत आ रही है। इस वजह से श्रीलंका की मुद्रा डॉलर के मुकाबले कमजोर हो गई है और उसने दुनिया के कई देशों से मदद मांगी है। इसके अलावा वहां महंगाई का आलम यह है कि पेट्रोल-डीजल से लेकर खाने-पीने की सामान्य चीजों के दाम चरम पर पहुंच गए हैं।