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भारत ने अमेरिकी राजदूत के पीओके दौरे पर जताई आपत्ति, कहा – ‘हमारी संप्रभुता का सम्मान करें’

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नई दिल्ली, 5 अक्टूबर। भारत ने अमेरिकी राजदूत डोनाल्ड ब्लोम के पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के गिलगित-बाल्टिस्तान दौरे और वहां स्थानीय लोगों से बातचीत को लेकर सख्त आपत्ति जताई है। साथ ही भारत की संप्रुभता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने का अमेरिका से आग्रह किया है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इस बाबत गुरुवार को कहा, ‘जम्मू और कश्मीर के पूरे केंद्र शासित प्रदेश को भारत का अभिन्न अंग होने पर हमारी स्थिति सर्वविदित है। हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हमारी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने का आग्रह करना चाहेंगे।’

भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी से भी सवाल पूछा गया

विवाद बढ़ने पर भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी से भी उनके साथी राजनयिक की पीओके यात्रा के बारे में यही सवाल पूछा गया। पीटीआई ने अमेरिकी दूत के हवाले से कहा, ‘पाकिस्तान में अमेरिकी राजदूत पर प्रतिक्रिया देना मेरी जगह नहीं है, लेकिन वह पहले भी रहे हैं और जी20 के दौरान जम्मू-कश्मीर में हमारे प्रतिनिधिमंडल में जाहिर तौर पर हम भी शामिल थे।’

गार्सेटी बोले – जम्मू-कश्मीर मुद्दा भारत व पाक द्विपक्षीय रूप से हल किया जाना चाहिए

गार्सेटी ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर मुद्दे को भारत और पाकिस्तान द्वारा द्विपक्षीय रूप से हल किया जाना चाहिए, न कि अमेरिका सहित किसी तीसरे पक्ष द्वारा। ब्लोम ने पीओके में गिलगित-बाल्टिस्तान की छह दिवसीय ‘गुप्त’ यात्रा का विवरण दूतावास और पाकिस्तान सरकार के अधिकारियों द्वारा गुप्त रखा गया। पाकिस्तान दैनिक डॉन के अनुसार, ब्लोम ने विभिन्न क्षेत्रों का दौरा किया और गिलगित में स्थानीय और सरकारी अधिकारियों से मुलाकात की।

पिछले वर्ष ब्लोम ने मुजफ्फराबाद का दौरा किया था, जहां उन्होंने कायद-ए-आजम मेमोरियल डाक बंगला बनाया था। भारत ने अमेरिकी पक्ष के साथ यह मुद्दा उठाया था क्योंकि राजदूत के बयान में पीओके को ‘एजेके’ के रूप में उल्लेख किया गया था। पिछले साल अप्रैल में, अमेरिकी कांग्रेस सदस्य इल्हान उमर ने भी पीओके का दौरा किया था, जिसकी नई दिल्ली ने कड़ी निंदा की थी।

अरिंदम बागची ने पिछले वर्ष कहा था, ‘उन्होंने पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जा किए गए जम्मू-कश्मीर के एक हिस्से का दौरा किया। यदि ऐसा कोई राजनेता घर पर अपनी संकीर्ण सोच वाली राजनीति करना चाहता है तो यह उसका व्यवसाय हो सकता है, लेकिन इसके अनुसरण में हमारी क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करने से यह हमारा हो जाता है।’