इम्फाल, 29 जुलाई। लगभग तीन माह से हिंसाग्रस्त पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर का जायजा लेने के लिए विपक्षी गठबंधन INDIA का एक प्रतिनिधिमंडल शनिवार को इम्फाल पहुंचा। प्रतिनिधिमंडल में शामिल INDIA के घटक दलों के 21 सांसद दो दिवसीय दौरे में राज्य के राहत शिविरों में जाकर लोगों से बातचीत करेंगे और उनकी तकलीफें समझेंगे।
अधीर रंजन बोले – स्थानीय लोगों का सरकार पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं
प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को चुराचांदपुर के राहत शिविर में पीड़ितों से मुलाकात की और उनका हाल जाना। चुराचांदपुर में एक राहत शिविर का दौरा करने के बाद कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘इन लोगों का चेहरा देखकर पता चलता है कि ये डरे हुए हैं। इन लोगों को सरकार पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं है। बहुत भयानक स्थिति पैदा हो चुकी है।’
वहीं, सांसद गौरव गोगोई ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि लोगों की मांगें सुनी जाएं। हम लोगों की मांग का प्रतिनिधित्व करने जा रहे हैं। हम मणिपुर के लोगों और उनकी चिंताओं का प्रतिनिधित्व करने आए हैं।’
सुष्मिता देव ने कहा – ‘सरकार के इनकार के बाद विपक्षी प्रतिनिधिमंडल यहां आया‘
राहत शिविर में पीड़ितों से मिलने के बाद तृणमूल सांसद सुष्मिता देव ने कहा, ‘लोग पीड़ित हैं और सोच रहे हैं कि हम घर कब जाएंगे। भारत सरकार को एक प्रतिनिधिमंडल भेजना चाहिए था, उन्होंने मना कर दिया, इसलिए विपक्षी दलों के गठबंधन का एक प्रतिनिधिमंडल यहां आया है।’
टीएमसी सांसद ने यह भी कहा, ‘देश के गृह मंत्री को तीन मई से पता नहीं था कि यहां क्या हो रहा है, आज 90 दिन बाद आप सीबीआई दे रहे हैं, इसका मतलब है कि या तो गृह मंत्री के पास कोई आईबी रिपोर्ट नहीं थी और वो टीवी पर तो बोल रहे हैं कि रिव्यू कर रहे हैं।’
‘शाह मणिपुर के लोगों को डरा रहे हैं कि वीडियो मत बनाना’
सुष्मिता देव ने आगे कहा, ‘सीबीआई दो महीने पहले क्यों नहीं दी गई? सीबीआई ने उन्हीं को अरेस्ट किया, जिसने उन महिलाओं का वीडियो बनाया। इसका मतलब है कि अमित शाह मणिपुर के लोगों को डरा रहे हैं कि वीडियो मत बनाना, वीडियो वाले को पकड़ लिया कि वीडियो मत निकालना, ये तो गलत बात है।’
90 दिन बाद सीबीआई क्या जांच करेगी – मनोज झा
राष्ट्रीय जनता दाल के सांसद मनोज झा ने कहा कि स्थिति को बयां करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है। लोग परेशान हैं। हम इस मुद्दे को संसद में उठाएंगे। हिंसा के 90 दिन बाद सीबीआई क्या जांच करेगी, मणिपुर के मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए। सरकारी हथियारखानों से लुटे हथियारों से हिंसा हो रही है।’
जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। मणिपुर की आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इम्फाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासियों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।