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थॉमस कप बैडमिंटन : भारत ने रच दिया इतिहास, 14 बार के चैंपियन इंडोनेशिया को 3-0 से पस्त कर पहली बार जीती उपाधि

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बैंकॉक, 15 मई। भारतीय बैडमिंटन इतिहास में रविवार का दिन स्वर्णाक्षरों में लिख गया, जब आत्मविश्वास से लबरेज पुरुष टीम ने तीन दिनों के भीतर दूसरी बार इतिहास का सृजन करते हुए पुरुष विश्व टीम बैडमिंटन की श्रेष्ठता के प्रतीक थॉमस कप पर पहली बार अधिकार कर लिया।  इम्पैक्ट एरेना में खेले गए एकतरफा फाइनल में भारतीयों ने 14 बार की चैंपियन शक्तिशाली इंडोनेशियाई टीम को 3-0 से पस्त करने के साथ 73 वर्षों में पहली बार यह ऐतिहासिक उपलब्धि अर्जित की।

ऐतिहासिक जीत के हीरो रहे लक्ष्य, श्रीकांत, सात्विक व चिराग

सहसा विश्वास नहीं हो रहा, लेकिन यदि हम कहें कि भारतीय बैडमिंटन इतिहास का यह स्वर्णिम काल है तो कहीं से अतिशयोक्ति नहीं होगी। टीम की इस अविस्वरणीय कामयाबी के नायक रहे विश्व चैंपियनशिप के पदक विजेताओं – लक्ष्य सेन और किदांबी श्रीकांत के अलावा युगल जोड़ीदार सात्विकसाईराज रैंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी। इनके शानदार प्रदर्शन के ही बल पर भारत ने फाइनल के तीन शुरुआती रबर में ही गत चैंपियन इंडोनेशिया को निबटा दिया, जो 21वीं बार फाइनल खेलने उतरा था।

लक्ष्य सेन ने भारत को दिलाई 1-0 की बढ़त

नॉकआउट चरण में लय हासिल करने के लिए जूझ रहे विश्व कांस्य पदक विजेता और ऑल इंग्लैंड ओपन उपजेता 20 वर्षीय युवक लक्ष्य सेन ने प्रथम एकल में पिछड़ने के बाद असाधारण वापसी की और दुनिया के पांचवें नंबर के शटलर एंथनी सिनिसुका गिनटिंग को 8-21 21-17 21-16 से हराकर भारत को 1-0 की बढ़त दिलाई।

सात्विक व चिराग की मैच अंक से असाधारण वापसी

युगल रबर में भी यही हाल देखने को मिला, जब विश्व रैंकिंग में आठवें नंबर पर काबिज सात्विक और चिराग ने पहला गेम गंवा दिया। लेकिन देश की शीर्षस्थ जोड़ी ने जबर्दस्त वापसी करते हुए दूसरे गेम में न सिर्फ चार मैच अंक बचाए वरन मोहम्मद अहसन और केविन संजय सुकामुल्जो की जोड़ी को 18-21 23-21 21-19 से हराकर भारत की बढ़त 2-0 कर दी।

किदांबी श्रीकांत ने क्रिस्टी को सीधे गेमों में निबटाया

शुरुआती दोनों रबर जीतने के बाद भारतीय खेमे का उत्साह आसमानी बुलंदियां छू रहा था और नतीजा भी जल्द ही सामने आ गया, जब विश्व चैंपियनशिप के रजत पदक विजेता किदांबी श्रीकांत ने एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता जोनाथन क्रिस्टी को सीधे गेमों में 48 मिनट में 21-15, 23-21 से हराकर 3-0 की निर्णायक लीड के साथ भारत को स्वर्णिम जीत दिला दी।

प्रणॉय के सहारे भारत ने सेमीफाइनल में डेनमार्क को 3-2 से दी थी शिकस्त

गौरतलब है कि भारत ने दो दिन पहले सेमीफाइनल में डेनमार्क को 3-2 से हराकर पहली बार फाइनल में पहुंचकर इतिहास रचा था। लेकिन उसने जुझारू जज्बा दिखाते हुए 2016 के चैंपियन डेनमार्क को हरा दिया। उस मैच में 2-1 की बढ़त गंवाने के बाद अनुभवी एचएस प्रणॉय ने तीसरे व निर्णायक एकल में दल को ऐतिहासिक सफलता दिलाई थी। इसके पूर्व भारत ने पांच बार के चैम्पियन मलेशिया को 3-2 से हराकर 43 वर्षों का इंतजार खत्म करते हुए 1979 के बाद से पहली बार और कुल चौथी बार सेमीफाइनल में जगह बनाई थी।

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