ग्लास्गो, 13 नवंबर। विश्वभर के देशों ने जीवाश्म ईंधन समाप्त करने पर अपने रुख में नरमी लाई है। शुक्रवार को यहां संपन्न कॉप-26 जलवायु शिखर सम्मेलन में अंतिम समझौते के नए मसौदे से पता चलता है कि जीवाश्म ईंधन खत्म करने के रूख में नरमी आई है, लेकिन जीवाश्म ईंधन समाप्त करने के लिए आवश्यक सभी बातों को हटाया नहीं गया है। ग्लास्गो बैठक का मूल पत्र जीवाश्म ईंधन का विशेष उल्लेख करने के लिए संयुक्त राष्ट्र जलवायु बैठक का पहला दस्तावेज है।
इस बीच, भारत ने जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव से निबटने के लिए सामूहिक प्रयास करने का आह्वान किया है। केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने एक बयान में कहा कि यह संदेश तभी भरोसेमंद होगा, जब विकसित देश समन्वित प्रयास करें और विकासशील देशों को वित्तीय सहायता दें।
मिस्र के शर्म-अल-शेख में होगा कॉप-27 समिट
भूपेंद्र यादव ने कहा कि विश्व में गैस उत्सर्जन एक 0.1 डिग्री तक लाने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए और यह कार्य विकसित देशों के सहयोग से ही संभव है। मिस्र के पर्यावरण मंत्रालय ने कहा है कि अगला जलवायु सम्मेलन कॉप-27 शर्म-अल-शेख में होगा।
कॉप-26 शिखर बैठक में निर्धारित समय तक उत्सर्जन खत्म करने का प्रस्ताव अंतिम दिन पारित किया गया क्योंकि जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को टालने से संबंधित समझौते पर बातचीत कल भी जारी थी। जिन मुद्दों पर बातचीत जारी थी, उनमें कोयला और अन्य जीवाश्म ईंधनों पर सब्सिडी तथा गरीब देशों को वित्तीय मदद पहुंचाना शामिल है।