वाशिंगटन, 10 सितम्बर। भारत ने अफगानिस्तान में अफगान समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व करने वाली समावेशी सरकार का आह्वान किया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में अफगानिस्तान पर बहस को संबोधित करते हुए विश्व संगठन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी.एस. तिरुमूर्ति ने यह बात कही।
अफगान महिलाओं की आवाज सुनी जानी चाहिए
तिरुमूर्ति ने कहा समावेशी राजनीतिक समझौते के माध्यम से एक व्यापक, समावेशी और विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधित्व वाली व्यवस्था को अंतरराष्ट्रीय स्वीकार्यता और वैधता मिलेगी। उन्होंने कहा कि अफगान महिलाओं की आवाज सुनी जानी चाहिए, अफगान बच्चों की आकांक्षाओं को साकार किया जाना चाहिए और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए।
अफगानिस्तान की नाजुक स्थिति से भारत सहित अन्य पड़ोसी देश चिंतित
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में स्थिति बहुत नाजुक बनी हुई है और यह इसके पड़ोसी देशों, मित्रों और भारत के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल किसी देश को धमकाने या हमला करने या आतंकवादियों को पनाह देने अथवा प्रशिक्षित करने या उन्हें आर्थिक सहायता देने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
अफगानी राजदूत की तालिबानी सरकार को मान्यता न देने की यूएनएससी से अपील
भारत के अलावा, संयुक्त राज्य अमेरिका में अफगानिस्तान के राजदूत गुलाम इसाकजई ने यूएनएससी से तालिबान द्वारा गठित सरकार को मान्यता नहीं देने का आग्रह किया। इसाकजई ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि तालिबान द्वारा अत्याचार और मानवाधिकारों के उल्लंघन का अफगानिस्तान चश्मदीद गवाह है।