वाराणसी, 21 मई। धार्मिक नगरी वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद की रखरखाव करने वाली समिति अंजुमन इंतजामिया मसाजिद ने बढ़ते हुए विवाद को शांत करने के उद्देश्य से अब कहा है कि मस्जिद परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी मंदिर में दर्शन-पूजा होने से उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।
अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के संयुक्त सचिव एमएस यासीन और वाराणसी शहर के मुफ्ती मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी ने शनिवार वाराणसी के पुलिस कमिश्नर ए. सतीश गणेश से मुलाकात कर उन्हें यह जानकारी दी। इस मुलाकात में कमेटी के लगभग सभी सदस्य और वाराणसी में मुस्लिम धर्म के प्रमुख बुद्धिजीवी मौजूद थे।
मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट के दिए जजमेंट से पूरी तरह संतुष्ट
पुलिस कमिश्नर से मुलाकात के बाद एमएस यासीन ने कहा कि मस्जिद कमेटी सुप्रीम कोर्ट के दिए जजमेंट से पूरी तरह से संतुष्ट है। उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद से जुड़े केस को सिविल कोर्ट से जिला जज के पास ट्रांसफर कर दिया है। हमें उम्मीद है जिला जज प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को ध्यान में रखते हुए मामले की सुनवाई करेंगे और मस्जिद को इंसाफ मिलेगा।’
मो. यासीन ने यह भी कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद की अंजुमन इंतजामिया मसाजिद स्पष्ट करती है कि उसे मस्जिद परिसर स्थित श्रृंगार गौरी की पूजा-अर्चना से कोई आपत्ति नहीं है। श्रृंगार गौरी मंदिर मस्जिद से दूर है और बैरिकेडिंग से भी बाहर है। इसलिए हिन्दू महिलाएं वहां पूजा करती हैं तो मस्जिद कमेटी को इसमें कोई एतराज नहीं है।
‘देश–दुनिया में अपने सौहार्द और अमन-चैन के लिए जाना जाता है बनारस‘
उन्होंने कहा कि बनारस शहर देश और दुनिया में अपने सौहार्द और अमन-चैन के लिए जाना जाता है। इस शहर के हिन्दू और मुलमान सदियों से मिलजुल कर रहते हैं। कहीं भी धार्मिक मनमुटाव नहीं है। पूरा बनारस अपनी रौ में बह रहा है, इसकी धारा में गंगा-जमुनी तहजीब घुली हुई है।
यासीन ने कहा, ‘6 दिसंबर, 1992 को जब अयोध्या में मस्जिद गिराई गई थी, तब भी बनारस शांत था। हमारे पुरखे यहां सदियों से रहते चले आ रहे हैं, यह शहर जिंदादिल लोगों का शहर है और यही कारण है कि यहां अमन और चैन हर वक्त बरकरार रहता है।’
गौरतलब है कि ज्ञानवापी मस्जिद के इंतजाम को देखने के लिए वर्ष 1922 में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद बनी थी और वर्ष 1989 से एमएस यासीन ज्ञानवापी मस्जिद के ज्वॉइंट सेक्रेटरी हैं।