इंदौर, 30 मई। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के करोड़ों रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) फर्जीवाड़े के लिए गुजरात में सूरत के एक कमरे से करीब 550 डमी कम्पनियां चलाने वाले शातिर गिरोह के पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि इंदौर के केंद्रीय माल एवं सेवा कर आयुक्तालय ने मध्य प्रदेश पुलिस के साइबर दस्ते की मदद से गिरोह के पांच लोगों को सूरत से गत 25 मई को गिरफ्तार किया।
800 करोड़ रुपये का कारोबार जांच के घेरे में
अधिकारियों ने बताया कि गिरोह द्वारा करीब 550 डमी कम्पनियों के नाम पर किया गया कुल 800 करोड़ रुपये का कारोबार जांच के घेरे में है। सिर्फ कागजों पर दिखाए गए इस कारोबार के जरिए जीएसटी का 100 करोड़ रुपये से अधिक का आईटीसी फर्जी तौर पर हासिल किया गया और ‘कमीशन’ लेकर इसे अन्य कम्पनियों को बेच दिया गया।
डमी कम्पनियों के जरिए करोड़ों का फर्जी कारोबार
मामले की जांच से जुडे़ एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘गिरोह द्वारा सूरत के एक कमरे से करीब 550 डमी कम्पनियां चलाई जा रही थीं और इनके जरिए करोड़ों रुपये का फर्जी कारोबार किया जा रहा था। हमें इस कमरे में बमुश्किल चार मेज-कुर्सियां रखी मिलीं और हमने पाया कि वहां ज्यादा से ज्यादा छह लोग बैठकर काम कर सकते हैं।’
डमी कम्पनियां खोलने के लिए नाम या पतों के दस्तावेजों का अवैध इस्तेमाल
प्राप्त जानकारी के अनुसार जीएसटी तंत्र में डमी कम्पनियां पंजीबद्ध कराने के लिए एक अन्य गिरोह के जरिए गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के लोगों की पहचान के दस्तावेज अवैध तौर पर खरीदे गए थे। डमी कम्पनियां खोलने के लिए गरीब तबके के दिहाड़ी मजदूरों से लेकर मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए एक आईपीएस अधिकारी तक के नाम या पतों के दस्तावेजों का अवैध इस्तेमाल किया गया।
इन लोगों को भनक तक नहीं थी कि उनके दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों रुपये का फर्जी कारोबार किया जा रहा है। एक ऐसे व्यक्ति के नाम पर भी डमी कम्पनी मिली, जिसकी सात साल पहले ही मौत हो चुकी है।
आपत्तिजनक दस्तावेज, मोबाइल फोन, सिम कार्ड, सील, लेटर-पैड बरामद
अधिकारी ने बताया कि गिरोह के कब्जे से डमी कम्पनियों के विवरण के साथ ही बड़ी संख्या में आपत्तिजनक दस्तावेज, मोबाइल फोन, सिम कार्ड, सील, लेटर-पैड आदि बरामद किए गए हैं। मामले में अलग-अलग सरकारी एजेंसियों द्वारा विस्तृत जांच व काररवाई जारी है और गिरोह द्वारा कई परतों में किए गए फर्जीवाड़े का आंकड़ा बढ़ सकता है।