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विपक्ष की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने पूछा – केंद्र बताए कि पेगासस का इस्तेमाल किया या नहीं

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नई दिल्ली, 28 जुलाई। पेगासस जासूसी विवाद और कृषि कानून समेत कई मुद्दों पर उबाल खा रहे संसद के मॉनसून सत्र के बीच पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर करारा प्रहार करते हुए कहा है कि उसने इजरायली सॉफ्टवेयर पेगासस से सबकी जासूसी कराई है। यह राष्ट्रविरोधी कृत्य किया है और इसका उसे जवाब देना होगा।

विपक्षी दलों की संयुक्त बैठक के बाद हुई मीडिया कॉन्फ्रेंस

दरअसल संसद में केंद्र सरकार को घेरने के लिए बुधवार को विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने बैठक की, जिसमें करीब एक दर्जन पार्टियों ने हिस्सा लिया। बैठक के बाद कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और अन्य विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने संयुक्त रूप से मीडिया को संबोधित किया।

विपक्ष की आवाज को संसद में दबाया जा रहा

वायनाड (केरल) से सांसद राहुल गांधी ने कहा, ‘विपक्ष की आवाज को संसद में दबाया जा रहा है। हमारा सिर्फ यही सवाल है कि क्या देश की सरकार ने पेगासस को खरीदा या नहीं? क्या सरकार ने अपने लोगों पर पेगासस हथियार का इस्तेमाल किया या नहीं? सरकार इस मसले पर संसद में चर्चा नहीं कर रही है।’

हम संसद नहीं रोक रहे बल्कि अपनी आवाज बुलंद करना चाह रहे

राहुल गांधी ने कहा, ‘देश में मेरे खिलाफ, सुप्रीम कोर्ट, मीडिया और अन्य लोगों के खिलाफ पेगासस के हथियार का प्रयोग किया गया। सरकार ने ऐसा क्यों किया, वह इसका जवाब दे? हम संसद को चलने से नहीं रोक रहे हैं बल्कि अपनी आवाज़ बुलंद करना चाह रहे हैं।’

हमारे खिलाफ किया गया पेगासस हथियार का इस्तेमाल

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘जिस हथियार का इस्तेमाल आतंकवादियों के खिलाफ होना चाहिए था, उसका इस्तेमाल हमारे खिलाफ क्यों हो रहा है। सरकार जवाब दे कि पेगासस क्यों खरीदा गया था।’

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही अंतरराष्ट्रीय मीडिया द्वारा खुलासा किया गया था कि भारत सरकार ने इजरायली सॉफ्टवेयर पेगासस से कई लोगों के फोन को हैक किया है। इनमें राहुल गांधी, प्रशांत किशोर समेत कई नेता, कुछ केंद्रीय मंत्री, पत्रकार और अन्य लोगों के नाम शामिल थे।

विपक्ष की ओर से अब इस मसले पर संसद के दोनों सदनों में हंगामा किया जा रहा है। विपक्ष की मांग है कि इस विषय पर चर्चा की जाए जबकि सरकार ने इन आरोपों को पूरी तरह से नकार दिया है। सरकार का कहना है कि मॉनसून सत्र के कामकाज को रोकने के लिए इस तरह के गलत आरोप लगाए जा रहे हैं।

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