नई दिल्ली, 22 दिसंबर। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर और हैदराबाद के वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन की वजह से भारत में फरवरी में कोविड-19 की तीसरी लहर आ सकती है। लेकिन इससे भारत को चिंतित होने की बजाय सावधान रहने की जरूरत है।
आईआईटी कानपुर के प्रोफसर मनिंद्र अग्रवाल और Sutra model of tracking the pandemic trajectory के सह-संस्थापक आईआईटी हैदराबाद के प्रोफेसर एम. विद्यासागर के एक अध्ययन में यह चिंता करने वाली बात सामने आई है।
भारत में ओमिक्रॉन फरवरी में चरम पर पहुंच सकता है
दोनों वैज्ञानिकों के अध्ययन में दावा किया गया है कि फरवरी, 2022 में भारत में ओमिक्रॉन चरम पर पहुंच सकता है। हालांकि फरवरी के बाद अगले ही महीने ओमिक्रॉन के मामले घटने लगेंगे, जिससे राहत मिलेगी। हालांकि, भारत में ओमिक्रॉन के कुल मामले देखते ही देखते 220 हो चुके हैं।
स्टडी के अनुसार कोरोना के रोजाना नए मामले फरवरी में 1.5 से 1.8 लाख तक हो सकते हैं। ऐसा तब हो सकता है, जब नए वैरिएंट से प्राकृतिक रूप से या टीकाकरण के माध्यम से बचाव बना रहे।
नया वैरिएंट जितनी तेजी से बढ़ रहा, उसी गति से कम भी होगा
प्रो. मनिंद्र अग्रवाल ने कहा कि नया वैरिएंट जितनी तेजी से बढ़ेगा, उसी गति से कम भी होगा। दक्षिण अफ्रीका में मामलों की संख्या तीन सप्ताह में चरम पर जाने के बाद गिरावट शुरू हो चुकी है। दक्षिण अफ्रीका में कोविड के मामलों की औसत संख्या 15 दिसंबर को लगभग 23,000 के उच्च स्तर पर रही। अब 20,000 से नीचे आ गई है।
उन्होंने कहा कि अगर यूके और संयुक्त राज्य अमेरिका के मामलों, मौतों और अस्पताल में भर्ती मरीजों के डेटा से अनुमान लगाया जाए तो फरवरी से ओमिक्रॉन का असर कम हो सकता है।
महाराष्ट्र और दिल्ली में ओमिक्रॉन के 50 से ज्यादा केस
भारत में अब तक 14 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में ओमिक्रॉन के मामले सामने आए हैं, जिनमें महाराष्ट्र (65), दिल्ली (54), तेलंगाना (24), कर्नाटक (19), राजस्थान (18), केरल (15), गुजरात (14), जम्मू (3), यूपी (2), ओडिशा (2), आंध्र प्रदेश (1), चंडीगढ़ (1), तमिलनाडु (1) और बंगाल (1) शामिल हैं।