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आईआईटी कानपुर का दावा – घबराने की जरूरत नहीं, 98% भारतीयों में हैं कोरोना को झेलने की ताकत

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नई दिल्ली, 23 दिसम्बर। चीन सहित कई देशों में कोरोना वायरस की तेज रफ्तार देखते हुए केंद्र के साथ कई राज्य सरकारें सतर्क हो गई हैं। इस क्रम में सरकारी स्तर पर उच्चस्तरीय बैठकों में एहतियाती कदम उठाने के निर्देश जारी किए जा रहे हैं और आमजन से मास्क पहनने के अलावा सामाजिक समारोहों से बचने की अपील की गई है। इस सबके बीच आईआईटी कानपुर ने अपने एक अध्ययन में कहा है कि भारत की करीब 98 प्रतिशत आबादी ने कोविड-19 के खिलाफ प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली है। इसलिए घबराने की कोई जरूरत नहीं है।

चीन में अक्टूबर तक सिर्फ 5% आबादी में प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता मौजूद थी

आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मणिंद्र अग्रवाल ने कहा, ‘यह संभव है कि कुछ लोगों की कमजोर प्रतिरोधक क्षमता के कारण कोरोना की एक नई और छोटी लहर देखने को मिल सकती है। इसके अलावा कोई बात नहीं होगी।’ कोरोना पर आधारित अपने मैथमेटिकल मॉडल के आधार पर प्रोफेसर अग्रवाल ने कहा कि भारत की अपेक्षा चीन में अक्टूबर तक सिर्फ पांच प्रतिशत आबादी में प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता मौजूद थी।

चीन की सरकार 500 में से सिर्फ एक मामले के बारे में रिपोर्ट कर रही

प्रोफेसर अग्रवाल ने कहा, ‘नवम्बर में चीन में 20 प्रतिशत आबादी में प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता थी। नवम्बर से ही वहां कोरोना के मामलों में तेजी से इजाफा होना शुरू हुआ। चीन की सरकार 500 में से सिर्फ एक मामले के बारे में रिपोर्ट कर रही है। इस कारण से चीन में कोरोना मामलों की संख्या कम है।’

प्राकृतिक प्रतिरक्षा हासिल कर लेने वाले देश किसी भी खतरे में नहीं

उन्होंने यह भी कहा, ‘दुनिया के जिन देशों ने प्राकृतिक प्रतिरक्षा हासिल कर ली है, वे किसी भी खतरे में नहीं हैं। ब्राजील में ओमिक्रॉन के एक नए और अधिक घातक म्यूटेंट के कारण मामले बढ़ रहे हैं। दक्षिण कोरिया में 25 प्रतिशत, जापान में 40 प्रतिशत और संयुक्त राज्य अमेरिका में 20 प्रतिशत आबादी प्राकृतिक प्रतिरक्षा हासिल करने में सक्षम नहीं है।’

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