नई दिल्ली, 14 दिसंबर। आईसीएमआर डिब्रूगढ़ के बाद अब भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), दिल्ली के अनुसंधानकर्ताओं ने 90 मिनट के अंदर कोविड-19 के नए स्वरूप ‘ओमिक्रॉन’ का पता लगाने वाली आरटी-पीसीआर आधारित एक जांच पद्धति विकसित की है। आईआईटी दिल्ली के अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
ज्ञातव्य है कि मौजूदा समय भारत सहित दुनिया के कई देशों में ओमिक्रॉन संक्रमण तेजी से फैल रहा है और विश्वभर में ओमीक्रॉन की पहचान या जांच अगली पीढ़ी की ‘सीक्वेंसिंग’ (अनुक्रमण) आधारित पद्धतियों से की जाती है, जिसमें तीन दिन से अधिक समय लगता है।
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ऐसे वक्त दिल्ली आईआईटी ने अपनी कुसुम स्कूल ऑफ बायोलॉजिकल साइसेंज द्वारा विकसित त्वरित जांच पद्धति के लिए एक भारतीय पेटेंट अर्जी दी है और वह संभावित औद्योगिक साझदेारों के साथ वार्ता शुरू करने की प्रक्रिया में जुटी हुई है।
आईआईटी दिल्ली के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह जांच पद्धति विशेष उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) पर आधारित है, जो ओमिक्रॉन स्वरूप में मौजूद है और सार्स-कोवी-2 के अन्य मौजूदा स्वरूपों में अनुपस्थित है। उन्होंने कहा कि कृत्रिम डीएनए टुकड़ों का उपयोग कर जांच में ओमीक्रॉन स्वरूप का पता लगाया जाता है।
अधिकारी ने कहा कि आरटी-पीसीआर आधारित जांच का उपयोग कर 90 मिनट के अंदर ओमिक्रॉन स्वरूप की मौजूदगी का पता लगाना संभव हो जाएगा। यह पद्धति जांच में आने वाली लागत को घटा कर इसे देश की बड़ी आबादी के लिए वहन करने योग्य बना देगी।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) से इस जांच पद्धति वाली किट को मंजूरी मिलने के बाद इसे बाजार में उतार दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि देश में ओमिक्रॉन स्वरूप के मामलों की कुल संख्या बढ़ कर 50 हो गई है।