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एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की दोनों डोज में 45 हफ्ते का फासला हो तो 4 गुना मजबूत हो जाएगी एंटीबॉडी : अध्ययन

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नई दिल्ली, 29 जून। कोविड-19 के खिलाफ संघर्ष में इस समय टीकाकरण अभियान जोरों पर है और भारत में ‘सबके लिए मुफ्त टीका’ अभियान की गत 21 जून से शुरुआत के बाद तो वैक्सिनेशन में अब तक शीर्ष पर चल रहा अमेरिका भी पिछड़ गया है। इस बीच एक अध्ययन में दावा किया गया है कि एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन की दोनों डोज के बीच यदि 44-45 हफ्ते का फासला रखा जाए तो चार गुना ज्यादा एंटीबॉडी बनती है।

गौरतलब है कि वैक्सीन की दोनों डोज कितने दिनों के अंतराल पर लेनी चाहिए, इसे लेकर अकसर ही बहस छिड़ती रही है। भारत में भी शुरुआत में उपलब्ध दो टीकों – कोविशील्ड व कोवैक्सीन की दोनों डोज के बीच चार से छह हफ्ते का गैप रखा गया था। इनमें हैदराबादी कम्पनी भारत बायोटेक की कोवैक्सीन की दोनों डोज के बीच तो अब भी वही अंतराल है।

दो बार बढ़ाया जा चुका है कोविशील्ड वैक्सीन की दोनों डोज के बीच का अंतराल

लेकिन पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा बनाई जा रही ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के भारतीय संस्करण यानी कोविशील्ड की दोनों डोज के बीच गैप अब तक दो बार बढ़ाया जा चुका है। गत मार्च के उत्तरार्ध में सरकारी दिशानिर्देश जारी किया गया कि कोविशील्ड की दोनों डोज के बीच छह से आठ हफ्ते का अंतराल होग। उसके बाद मई में यह अंतराल 12-16 हफ्ते कर दिया गया, जिसपर काफी बहस छिड़ी थी।

एंटीबॉडी को और मजबूत बना सकती है बूस्टर डोज

फिलहाल अब ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ग्रुप की ओर से जारी एक रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा वक्त में आठ या 12 हफ्ते के बीच दी जा रही वैक्सीन की दूसरी डोज के मुकाबले 44-45 हफ्ते वाला शेड्यूल बेहतर नतीजे दे रहा है। इसके अलावा वैक्सीन की मदद से एंटीबॉडी लेवल करीब एक साल तक हाई रहता है जबकि वैक्सीन की तीसरी डोज (बूस्टर शॉट) इसे और अधिक मजबूत बना सकता है।

वैक्सीन ग्रुप द्वारा इसके लिए ट्रायल भी किए गए। इनमें हिस्सा लेने वाले जिन स्वयंसेवकों को 15-25 हफ्ते के बीच में वैक्सीन की दूसरी डोज दी गई, उनमें एंटीबॉडी लेवल दोगुना हुआ, जो 8-12 हफ्ते के बीच दी जाने वाली दूसरी डोज से काफी अधिक फायदेमंद है।

इसी ग्रुप के एक अध्ययन ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की बूस्टर डोज देने की भी बात कही है। स्टडी के अनुसार बूस्टर डोज इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करेगी। हालांकि, अब तक यह डेटा नहीं मिला है कि बूस्टर डोज देना जरूरी ही है। लेकिन बताया गया है कि यदि ऐसा किया जाता है तो फायदेमंद साबित होगा।