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‘दिखाई नहीं देता तो क्या सुनाई भी नहीं देता’, जानिए क्यों रामभद्राचार्य पर भड़के अविमुक्तेश्वरानंद

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नई दिल्ली, 26 अगस्त। जगदगुरु रामाभद्राचार्य की वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज को लेकर की गई टिप्पणी के बाद साधु-संतों में नई बहस छिड़ गई है। ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने पूरे विवाद पर तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि वो दिनभर संस्कृत में ही भगवान के नाम का उच्चारण कर रहे हैं, अगर आपको दिखाई नहीं देता तो क्या सुनाई भी नहीं देता है।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा, “वो एक पीले कपड़े वाले महात्माजी है वृंदावन में प्रेमानंद जी, कह रहे हैं कि उनको एक अक्षर संस्कृत नहीं आती। उनको संस्कृत आने की ज़रूरत क्या है? वो तो भगवान के नाम का प्रचार कर रहे हैं। भगवान का नाम संस्कृत में ही हैं।”

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने सवाल किया, “भगवान का नाम किस भाषा में है? बताइए कि जो दिन भर राधे-राधे, कृष्ण-कृष्ण, हे गोविंद, हे गोपाल बोल रहे हैं और लोगों को प्रेरित कर रहे हैं कि नाम का स्मरण करो, वो हमें बताएं कि भगवान का नाम ये राधे-राधे, कृष्ण-कृष्ण, ये गोविंद-गोविंद, गोपाल-गोपाल किस भाषा के शब्द हैं।

अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, “क्या ये संस्कृत भाषा के शब्द नहीं है। क्या ये संबोधन की विभक्ति संस्कृत भाषा की नहीं है। वो तो दिन भर संस्कृत बोल रहा है, जो व्यक्ति भगवान के नाम का उच्चारण कर रहा है। संबोधन में उच्चारण कर रहा है वो दिन भर संस्कृत ही तो बोल रहा है और क्या बोल रहा है। आपको नहीं दिखाई देता, लगता है आपको सुनाई भी नहीं देता।”

किस बात को लेकर छिड़ा है विवाद?

दरअसल जगदगुरू रामभद्राचार्य ने एक पॉडकास्ट में अपनी बात रखते हुए प्रेमानंद महाराज को लेकर टिप्पणी की थी, उन्होंने कहा था कि मैं चैलेंज करता हूं कि प्रेमानंद संस्कृत का एक भी अक्षर बोलकर दिखा दें या फिर मेरे श्लोकों का अर्थ समझा दें तो मैं उन्हें चमत्कारी मान लूंगा।

रामभद्राचार्य के बयान पर विवाद होने के बाद उन्होंने इस पर सफ़ाई भी दी और कहा कि उन्होंने प्रेमानंद महाराज पर कोई अभद्र टिप्पणी नहीं की है। जब भी प्रेमानंद जी उनसे मिलने आएंगे तो वो उन्हें हृदय से लगाएंगे. वो उनके पुत्र समान हैं।

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