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इजराइल-हमास संघर्ष के कारण पैदा हुआ मानवीय संकट अमानवीय है: भारत

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संयुक्त राष्ट्र, 9 अप्रैल। भारत ने रमजान के महीने में गाजा में युद्धविराम की मांग करने वाले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को ‘‘सकारात्मक कदम’’ बताया और कहा कि इजराइल-हमास संघर्ष से पैदा हुआ मानवीय संकट ‘‘बिल्कुल अस्वीकार्य’’ है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि राजदूत रुचिरा कंबोज ने सोमवार को यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में कहा, ‘‘हम गाजा में जारी संघर्ष से बेहद चिंतित हैं। मानवीय संकट गहरा गया है और क्षेत्र एवं उसके बाहर अस्थिरता बढ़ रही है।’’

उन्होंने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा 25 मार्च को एक प्रस्ताव पारित किये जाने को ‘‘सकारात्मक कदम’’ के रूप में देखता है। कंबोज ने कहा कि इजराइल और हमास के बीच जारी संघर्ष के कारण बड़ी संख्या में नागरिक, विशेषकर महिलाएं और बच्चे मारे गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इस संघर्ष के कारण पैदा हुआ मानवीय संकट बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है।’’

कंबोज ने कहा कि भारत संघर्ष में आम नागरिकों की मौत की कड़ी निंदा करता है और किसी भी संघर्ष की स्थिति में यह अनिवार्य है कि आम नागरिकों की मौत की घटनाएं नहीं हों। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने रमजान के दौरान गाजा में तत्काल संघर्षविराम के प्रस्ताव को पिछले महीने पारित किया था। इजराइल और हमास के बीच संघर्ष के लगभग पांच महीने से अधिक बीतने के बाद यह प्रस्ताव पारित किया गया। पंद्रह राष्ट्रों वाली सुरक्षा परिषद ने 10 गैर-स्थायी निर्वाचित सदस्यों द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव को अपनाया।
प्रस्ताव के पक्ष में 14 देशों ने मतदान किया, जबकि अमेरिका मतदान में शामिल नहीं हुआ। हालांकि, इससे कुछ दिन पहले ही 22 मार्च को रूस और चीन ने गाजा में तत्काल युद्धविराम संबंधी एक अमेरिकी प्रस्ताव पर वीटो का इस्तेमाल किया था। इस प्रस्ताव के तहत गाजा में नागरिकों की सुरक्षा और भुखमरी का सामना कर रहे 20 लाख से अधिक फलस्तीनी लोगों को मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए गाजा में इजराइल-हमास युद्ध को तत्काल रोके जाने का आह्वान किया गया था।

कंबोज ने रेखांकित किया कि संघर्ष को लेकर भारत के रुख को देश के नेतृत्व ने कई अवसरों पर स्पष्ट रूप से व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि आतंकवादी हमलों या बंधक बनाए जाने को किसी भी तरह उचित नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पिछले साल सात अक्टूबर को इजराइल पर हुए आतंकवादी हमले चौंकाने वाले थे और ‘‘हमारी स्पष्ट निंदा’’ के पात्र थे।

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