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गृह मंत्रालय की स्वीकारोक्ति – कोरोना की दूसरी लहर के दौरान रेमडेसिविर और ऑक्सीजन की बढ़ी थी मांग

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नई दिल्ली, 8 नवम्बर। गृह मंत्रालय ने स्वीकार किया है कि अप्रैल, 2021 की शुरुआत में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जीवनरक्षक दवाओं की मांग बढ़ गई थी। मंत्रालय ने कहा कि हल्के गंभीर और गंभीर मरीजों के लिए रेमडेसिविर और मेडिकल ऑक्सीजन की मांग जबरदस्त रूप से बढ़ी थी।

2021-22 के लिए गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और विभिन्न संबंधित पक्षकारों से समन्वय किया।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अप्रैल 2021 से कोविड-19 के मामलों में इजाफा हुआ था और इसके चलते कोविड-19 के मध्यम व गंभीर मरीजों के इलाज के लिए ऑक्सीजन, रेमडेसिविर और अन्य जीवनरक्षक दवाओं की मांग बढ़ गई थी। ऐसे में मंत्रालय ने आवश्यक मेडिकल ऑक्सीजन के साथ-साथ रेमेडिसविर सहित जीवन रक्षक दवाओं की पर्याप्त और निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए।’

‘औद्योगिक उद्देश्य के लिए मेडिकल ऑक्सीजन को दी’

इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि इसने ऑक्सीजन संयंत्र से मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति व बाधामुक्त परिवहन सुनिश्चित करने के लिए समन्वय किया। साथ ही औद्योगिक उद्देश्य के लिए मेडिकल ऑक्सीजन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध का आदेश दिया और कोविड-19 के प्रबंधन के लिए मेडिकल उद्देश्य से इसके इस्तेमाल का मार्ग प्रशस्त किया।

‘मेडिकल ऑक्सीजन की आवाजाही को किया आसान’

गृह मंत्रालय ने योजना के अनुसार देश भर में मेडिकल ऑक्सीजन की आवाजाही की सुविधा प्रदान की। रेमेडिसविर और अन्य आवश्यक दवाओं की निर्बाध आपूर्ति और परिवहन में समन्वय किया। भारतीय वायु सेना के परिवहन विमानों की ओर से विदेशों से उच्च क्षमता वाले टैंकरों को उठाने की व्यवस्था की। साथ ही राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दी कि वे जिलाधिकारियों को बंद पड़े ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों को फिर से चालू करने के लिए कार्रवाई करें।

‘ऑक्सीजन की उपलब्धता के लिए जिला स्तर पर प्रयास’

रिपोर्ट के अनुसार, इन प्रयासों से जिला स्तर पर ऑक्सीजन की उपलब्धता के साथ ही सामान्य माध्यमों से मेडिकल ऑक्सीजन की बिना रुकावट आपूर्ति सुनिश्चित हुई। मंत्रालय ने उल्लेख किया कि जून, 2020 में राष्ट्रीय राजधानी में कोविड​​-19 के मामलों में अचानक वृद्धि के बाद अस्पतालों में बेड उपलब्ध नहीं हो पा रहे थे। ऐसे में मिनिस्ट्री ने दिल्ली में 1,000 बिस्तरों वाला अस्थाई अस्पताल स्थापित किया था।