नई दिल्ली, 24 मई। नए संसद भवन का उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी से न कराए जाने की मांग को लेकर विपक्षी दलों की घेरेबंदी के बीच अब सेंगोल (Sengol) भी चर्चा में है। इसका अर्थ ‘संपदा से संपन्न’ होता है। इसे नए संसद भवन में स्पीकर के आसन के पास स्थापित किया जाएगा।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर बताया कि नए भवन में सेंगोल की स्थापना की जाएगी। साथ ही संसद भवन के उद्घाटन के साथ एक ऐतिहासिक परपंरा भी पुनर्जीवित होगी। इस परंपरा को सेंगोल कहा जाता है। संसद भवन में जिस सेंगोल की स्थापना होगी, उसके शीर्ष पर नंदी विराजमान हैं।
इतिहास में खास योगदान : सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था
अमित शाह ने कहा, ‘संगोल का इतिहास बहुत पुराना है। सेंगोल ने हमारे इतिहास में एक अहम भूमिका निभाई थी। लेकिन, इसके 75 साल बाद आज देश के अधिकतर नागरिकों को इसकी जानकारी नहीं है। यह सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था। इसकी जानकारी पीएम मोदी को मिली तो गहन जांच कराई गई। फिर निर्णय लिया गया कि इसे देश के सामने रखना चाहिए। इसके लिए नए संसद भवन के लोकार्पण का दिन चुना गया।’
भारत की आजादी का प्रतीक है सेंगोल
सेंगोल का इतिहास काफी पुराना है। 14 अगस्त, 1947 को जब भारत की सत्ता का हस्तांतरण हुआ, तो वह इसी सेंगोल द्वारा हुआ था। एक तरह से कहा जाए तो सेंगोल भारत की आजादी का प्रतीक है। उस समय सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था। 1947 में जब लॉर्ड माउंट बेटन ने पंडित नेहरू से पूछा कि सत्ता का हस्तांतरण कैसे किया जाए तो पंडित नेहरू ने इसके लिए सी.राजा गोपालचारी से मशवरा मांगी। उन्होंने सेंगोल प्रक्रिया के बारे में बताया। इसके बाद इसे तमिलनाडु से मंगाया गया और आधी रात को पंडित नेहरू ने स्वीकार किया।
नए संसद भवन में सेंगोल कहां लगेगा
अमित शाह ने कहा कि सेंगोल की स्थापना के लिए संसद भवन से उपयुक्त और पवित्र स्थान कोई और हो ही नहीं सकता। इसलिए जिस दिन यह नए संसद भवन को देश को समर्पित किया जाएगा, उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) तमिलनाडु से आए हुए अधीनम से सेंगोल को स्वीकार करेंगे और लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास इसे स्थापित करेंगे।