नई दिल्ली, 22 सितम्बर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आतंकवाद के वित्त पोषण में कथित तौर पर शामिल पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के ठिकानों पर एनआईए सहित अन्य एजेंसियों की छापेमारी और 106 कार्यकर्ताओं गिरफ्तारी के बीच गुरुवार को एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई। इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल के अलावा केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, राष्ट्रीय अभिकरण एजेंसी के महानिदेशक दिनकर गुप्ता समेत शीर्ष अधिकारी शामिल हुए।
एनएसए डोभाल सहित कई शीर्ष अधिकारी बैठक में शामिल
गौरतलब है एनआईए की अगुआई में कई एजेंसियों ने 13 राज्यों में पीएफआई के दर्जनों ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। एनआईए द्वारा इसे अब तक का सबसे बड़ा जांच अभियान बताया गया है। माना जा रहा है कि पीएफआई से जुड़े परिसरों में की जा रही छापेमारी और आतंकवाद के संदिग्धों के खिलाफ काररवाई को लेकर इस बैठक में चर्चा हुई।
शाह ने आतंकवाद के संदिग्धों के खिलाफ की गई काररवाई का लिया जायजा
प्राप्त जानकारी के अनुसार अमित शाह ने इस बैठक के जरिए आतंकवाद के संदिग्धों और पीएफआई के कार्यकर्ताओं के खिलाफ देशभर में की गई काररवाई का जायजा लिया। पीएफआई और इसकी राजनीतिक विंग सोशलिस्ट डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) पर छापेमारी एनआईए और ईडी के परामर्श से खुफिया ब्यूरो द्वारा गहन जांच और डेटा संग्रह के आधार पर की गई है।
पीएफआई और एसडीपीआई पर शुरू से गृह मंत्रालय का फोकस
दरअसल, पीएफआई और एसडीपीआई पर शुरू से गृह मंत्रालय का फोकस रहा है क्योंकि खुफिया इनपुट से संकेत मिलता है कि कट्टरपंथी इस्लामी संगठन को पश्चिम एशियाई देशों, विशेष रूप से कतर, कुवैत, तुर्की और सऊदी अरब द्वारा अवैध रूप से वित्त पोषित किया जा रहा था। इस फंड का इस्तेमाल न केवल देशभर में आतंकी गतिविधियों के लिए बल्कि युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के लिए भी किया जा रहा था।
संगठन के मुस्लिम ब्रदरहुड जैसे एक अखिल-इस्लामी संगठन के साथ संबंध थे और भारत में इस्लाम का चेहरा बनने की योजना थी। पीएफआई-एसडीपीआई का मुख्य नेतृत्व अनिवार्य रूप से प्रतिबंधित स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया से है, जिसका मुख्य उद्देश्य भारत में इस्लामिक खिलाफत की स्थापना करना था।