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Holika Dahan 2024: होलिका दहन के दौरान न करें इन लकड़ियों का उपयोग नहीं तो उठाना पड़ सकता है भारी नुकसान

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लखनऊ, 21 मार्च। फाल्गुन का महीना आते ही हर तरफ होली की धूम नजर आने लगती है। हिंदू धर्म में होली एक महत्वपूर्ण और सबसे बड़ा त्योहार माना गया है। होली बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है और एकता का संदेश देता है। होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है और इस साल होलिका दहन 24 मार्च रविवार के दिन किया जाएगा।

होलिका दहन से जुड़े कुछ ऐसे नियम हैं जिनका पालन करना बेहद ही महत्वपूर्ण माना गया है क्योंकि इस दिन की गई छोटी सी गलती आपको और आपके परिवार को मुश्किल में डाल सकती है। जैसा कि सब जानते हैं होलिका दहन में लकड़ियां जलाई जाती हैं लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलिका दहन के लिए कुछ लकड़ियों का उपयोग करना अशुभ माना गया है।

इन लकड़ियों का न करें प्रयोग…

पीपल- आज बात करेंगे होलिका दहन में किन लकड़ियों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। पीपल के पेड़ में सभी देवी-देवताओं का वास माना गया है। ऐसे में पीपल के पेड़ की लकड़ी को होलिका जलाने के लिए प्रयोग नहीं करना चाहिए। इससे देवी-देवताओं द्वारा शुभ शक्तियों का संचार समाप्त हो जाता है।

आम- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलिका दहन के लिए आम की लकड़ी का भूलकर भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। ऐसा करना अशुभ माना गया है। इसके अलावा होलिका दहन के लिए वट के पेड़ की लकड़ी जलाना भी अशुभ माना गया है इसलिए वट के पेड़ की लकड़ी भूलकर भी न लाएं।

शमी- शमी का पौधा या पेड़ शनि देव को अति प्रिय है। इस कारण से शमी के पेड़ की लकड़ी को भी होलिका जलाने में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। मी की लकड़ी को जलाने से शनि देव नाराज हो जाते हैं और शनि दोष लगता है।

केले- धार्मिक दृष्टि से केले के पेड़ में बृहस्पति देव का वास स्थापित है। ऐसे केले के पेड़ की लकड़ी जलाना गुरु दोष पैदा करता है। इन लकड़िया को होलिका दहन में नहीं जलाना चाहिए।