अहमदाबाद, 16 दिसम्बर। इतिहासकार रिजवान कादरी ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से अनुरोध किया है कि वह पूर्व प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज वापस पाने में प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय सोसाइटी (PMML) की मदद करें।
2008 में इन दस्तावेजों को पुस्तकालय से हटाने का कांग्रेस पर आरोप
अहमदाबाद में रहने वाले इतिहासकार कादरी नई दिल्ली स्थित प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय सोसाइटी के सदस्य हैं, जिसे पहले नेहरू स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय के नाम से जाना जाता था। कादरी ने आरोप लगाया कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) के पूर्व शासनकाल के दौरान यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के कहने पर 2008 में इन दस्तावेजों को पुस्तकालय से हटा दिया गया था।
राहुल की मां सोनिया गांधी ने ऐसे अनुरोध का कोई जवाब नहीं दिया
रिजवान कादरी ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि उन्होंने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को एक ईमेल भेजा है। कादरी के अनुसार उन्होंने राहुल गांधी की मां एवं पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी इसी तरह का अनुरोध किया था, लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया।
संग्रह का हिस्सा रहे 51 कार्टन सोनिया गांधी के आदेश पर हटा दिए गए थे
उन्होंने कहा, ‘पुस्तकालय में नेहरू संग्रह का 2008 में हिस्सा रहे 51 कार्टन सोनिया गांधी के आदेश पर हटा दिए गए थे। ये दस्तावेज नेहरू के पत्रों के संग्रह का मूल रूप से हिस्सा थे, जिसमें हमारे पूर्व प्रधानमंत्री के आधिकारिक और व्यक्तिगत पत्राचार दोनों शामिल थे। ये दस्तावेज अब उस संग्रह से गायब हैं।’
कादरी ने कहा कि इस वर्ष सितम्बर में उन्होंने सोनिया गांधी को एक ईमेल भेजकर उनसे अनुरोध किया था कि वह या तो उन दस्तावेजों को पुस्तकालय को वापस कर दें या मूल दस्तावेजों को स्कैन करने की अनुमति दें।
हटाए गए दस्तावेजों में नेहरू व लेडी माउंटबेटन के बीच पत्राचार भी शामिल
उन्होंने दावा किया कि पुस्तकालय से हटाए गए दस्तावेजों में नेहरू और भारत में अंतिम ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड लुइस माउंटबेटन की पत्नी एडविना माउंटबेटन द्वारा एक-दूसरे को भेजे गए पत्र शामिल हैं। उन्होंने कहा कि भारत के पूर्व गृह मंत्री गोविंद बल्लभ पंत और समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण द्वारा नेहरू को लिखे गए पत्र भी संग्रह का हिस्सा थे।
कादरी ने कहा, ‘जब सोनिया गांधी की ओर से कोई जवाब नहीं मिला तो मैंने राहुल गांधी को ईमेल भेजकर उन महत्वपूर्ण दस्तावेजों को वापस लाने में पुस्तकालय की मदद करने का आग्रह किया है। ये पत्र राष्ट्रीय धरोहर और हमारी विरासत हैं। इन्हें विद्वानों और शोधकर्ताओं को उपलब्ध कराया जाना चाहिए। हम सभी को यह जानना चाहिए कि उन नेताओं के बीच हुए पत्राचार में क्या था।’
सवाल – पुस्तकालय को दान किए जा चुके दस्तावेज कोई वापस कैसे ले सकता है
उन्होंने कहा कि फरवरी में आयोजित सोसाइटी की वार्षिक आम बैठक के दौरान कुछ सदस्यों ने सवाल उठाए थे कि जब ये दस्तावेज पहले ही पुस्तकालय को दान किए जा चुके थे और वे इतने साल से संग्रह का हिस्सा थे तो कोई इन्हें कैसे ले जा सकता है।
कादरी ने कहा कि उन्होंने पुस्तकालय में एक व्यक्ति को ‘श्रेडर’ (कागज कुतरने की मशीन) का उपयोग करके कुछ कागजात नष्ट करते हुए भी देखा था। उन्होंने कहा, ‘उस घटना के बाद हमने एक फोरेंसिक जांच कराने की मांग की थी, ताकि पता चल सके कि फाइलों से पन्ने कैसे हटाए गए और नष्ट किए गए तथा इसके पीछे क्या मकसद था। इस मामले की जांच के लिए प्रशासन ने एक आंतरिक जांच समिति भी गठित की थी।’
‘मुझे उम्मीद है कि गांधी परिवार मेरे अनुरोध का सम्मान करेगा‘
उन्होंने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि गांधी परिवार मेरे अनुरोध का सम्मान करेगा। मैं एक शोधकर्ता हूं और मेरा उद्देश्य वास्तविक एवं तटस्थ रूप से इतिहास को संरक्षित करना है। मैं नेहरू और लेडी माउंटबेटन के बीच हुए पत्राचार का एक शोधकर्ता के रूप में हमेशा से अध्ययन करना चाहता हूं। मैं 2019 से मांग कर रहा हूं कि इस संग्रह को शोधकर्ताओं के साथ साझा किया जाना चाहिए।’