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सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लागू नए नियमों के खिलाफ ह्वॉट्सएप की दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका

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नई दिल्ली, 26 मई। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ह्वॉट्सएप ने भारत सरकार के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है, जिसमें नए नियमों पर रोक लगाने की मांग की गई है। मंगलवार, 25 मई को दाखिल इस याचिका में कम्पनी ने कोर्ट में दलील दी है कि भारत सरकार के नए आईटी नियमों से निजता (प्राइवेसी) खत्म हो जाएगी।

निजता का हनन हैं सरकार के नए नियम

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली हाई कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि भारत सरकार के नए नियम संविधान में वर्णित निजता के अधिकार का उल्लंघन करते हैं। कम्पनी का दावा है कि ह्वॉट्सएप सिर्फ उन लोगों के लिए नियमन चाहता है, जो प्लेटफॉर्म का गलत इस्तेमाल करते हैं।

ह्वॉट्सएप के प्रवक्ता ने इस बाबत कहा कि इस प्लेटफॉर्म के मैसेज एन्क्रिप्ट किए गए हैं, ऐसे में लोगों की चैट को इस तरह ट्रेस करना ह्वॉट्सएप पर भेजे गए सभी मैसेज पर नजर रखने के बराबर है, जो उपयोगकर्ताओं (यूजर्स) की निजता को खत्म कर देगा।

प्रवक्ता ने कहा, ‘हम प्राइवेसी के हनन को लेकर दुनियाभर की सिविल सोसाइटी और विशेषज्ञों के संपर्क में हैं। इसके साथ ही लगातार भारत सरकार से चर्चा के जरिए इसका समाधान खोजने में लगे हैं। हमारा मसकद लोगों की सुरक्षा और जरूरी कानूनी समस्याओं का हल खोजना है।’

ज्ञातव्य है कि देश में करीब 40 करोड़ ह्वॉट्सएप यूजर्स हैं। अब दिल्ली हाई कोर्ट में इस शिकायत की समीक्षा की जाएगी अथवा नहीं, इस बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है।

फिलहाल इस याचिका से भारत सरकार और सोशल मीडिया कम्पनियों के बीच विवाद और गहरा सकता है। इन सभी का भारत में बड़ा कारोबार है और करोड़ों लोग इन प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करते हैं। हाल में सत्ताधारी पार्टी भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा के एक ट्वीट को ‘मैनिपुलेटेड मीडिया’ का टैग देने के बाद ट्विटर के ऑफिस पर छापेमारी भी की गई थी।

सोशल मीडिया कम्पनियों के लिए नए दिशानिर्देश लागू

इस बीच केंद्र सरकार की ओर से सोशल मीडिया कम्पनियों के लिए जारी नए दिशानिर्देश बुधवार से प्रभावी हो गए हैं। पुराने नियमों की अवधि मंगलवार, 25 मई को समाप्त हो गई। केंद्र ने हालांकि नए नियमों की घोषणा फरवरी में ही कर दी थी।

नए नियमों के तहत ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और ह्वॉट्सएप सरीखे सोशल मीडिया मंचों को अतिरिक्त जांच-परख की प्रक्रिया पूरी करनी होगी। साथ ही उन्हें मुख्य अनुपालन अधिकारी, नोडल संपर्ककर्मी तथा निवासी शिकायत निबटान अधिकारी की भी नियुक्ति करनी होगी।

सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि नियमों के अस्तित्व में आने के बाद पहले दिन से शिकायत के समाधान के लिए अधिकारी की नियुक्ति सबसे महत्वपूर्ण जरूरत है। इन नियमों का अनुपालन नहीं करने पर सोशल मीडिया कम्पनियां मध्यवर्ती का दर्जा गंवा देंगी। इसके तहत सोशल मीडिया कम्पनियों को उनके द्वारा तीसरे पक्ष की सूचना और ब्योरे की ‘होस्टिंग’ के लिए दायित्व से छूट मिलती है।

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