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हिमंत बिस्वा सरमा होंगे असम के नए मुख्यमंत्री, सर्बानंद सोनोवाल ने दिया त्यागपत्र

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गुवाहाटी, 9 मई। विधानसभा चुनावों के बाद पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में जहां मुख्यमंत्रियों ने शपथ ग्रहण के बाद अपना कामकाज संभाल लिया है वहीं असम में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में विधायक दल के नेता के नाम पर सहमति बनाने में एक हफ्ते का समय लग गया। फिलहाल केंद्रीय नेतृत्व के हस्तक्षेप के बाद हिमंत बिस्वा सरमा के नाम पर अंतिम मुहर लग गई और अब वह जल्द ही राज्य में लगातार दूसरी बार बनने जा रही भाजपानीत राजग सरकार में नए मुख्यमंत्री होंगे।

भाजपा के नवनिर्वाचित विधायकों की रविवार को यहां लाइब्रेरी ऑडिटोरियम में हुई बैठक के दौरान हिमंत को विधायक दल का नेता चुना गया। बैठक में केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में कैबिनेट मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के अलावा अरुण सिंह, बीएल संतोष और बीजे पांडा भी मौजूद रहे।

52 वर्षीय हिमंत सरमा को नेता चुने जाने से पहले निवर्तमान मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने राज्यपाल जगदीश मुखी को अपना त्यागपत्र सौंप दिया। कयास लगाए जा रहे हैं कि सोनोवाल को केंद्र में भेजा जा सकता है। वर्ष 2016 में असम का मुख्यमंत्री बनने से पहले भी वह मोदी सरकार में खेल मंत्री थे।

गौरतलब है कि असम में नए मुख्यमंत्री को लेकर भाजपा असमंजस में थी। पार्टी नेतृत्व ने हिमंत बिस्वा सरमा और सर्बानंद सोनोवाल, दोनों को दिल्ली बुलाया था। दोनों नेताओं से पहले अलग-अलग और फिर एक साथ बैठाकर बात की गई थी। इसके बाद से ही हिमंत का नाम मुख्यमंत्री की रेस में आगे चल रहा था।

वस्तुतः असम की पिछली सरकारों में वित्त, कृषि और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण जैसे अहम विभागों के मंत्री रह चुके सरमा का जोरदार प्रचार अभियान ही इस बार भाजपा की जीत के अहम कारकों में एक माना जा रहा है। वह जालुकबारी विधानसभा सीट से लगातार पांचवीं बार विधायक बने हैं। तत्कालीन सीएम तरुण गोगोई से विवाद के बाद जुलाई, 2014 कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने 2015 में भाजपा का दामन थाम लिया था।

देखा जाए तो कानून की डिग्री हासिल करने के बाद पांच वर्षों तक गुवाहाटी उच्च न्यायालय में वकालत कर चुके हिमंत का राज्य में प्रभाव सोनोवाल से किसी मायने में कम नहीं है। 2016 विधानसभा और 2019 लोकसभा चुनाव में राज्य में भाजपा की जीत के साथ ही सीएए विरोधी प्रदर्शन और कोरोना के हालात को संभालने में उनकी अहम भूमिका रही है।

वर्ष 2001 में पहली बार विधानसभा पहुंचे हिमंत को 2016 विधानसभा चुनाव में जीत के तत्काल बाद पार्टी ने नॉर्थ-ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (NEDA) का अध्यक्ष बनाया था। इसके बाद उन्होंने पूर्वोत्तर के कई राज्यों में भाजपा को सत्ता तक पहुंचाने में महती भूमिका निभा

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