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हिजाब विवाद : ईरान ने जिस महिला को उतारा मौत के घाट, उसके समर्थन में भारत में उठी आवाज

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नई दिल्ली, 21 सितंबर। महसा अमीनी की मौत को लेकर ईरान (Iran) में हिजाब का विवाद काफी गहरा गया है। इस बीच ईरान में जो एंटी हिजाब क्रांति शुरू हुई है, उसकी गूंज भारत में भी सुनाई देने लगी है। ईरानी महिलाओं के समर्थन में वाराणसी से आवाज उठी है। महिलाओं ने हिजाब (Hijab) पहनने की बंदिशों के खिलाफ प्रदर्शन किया। महिलाएं सवाल पूछ रही हैं कि जिंदगी जरूरी है या हिजाब? मजहब के नाम पर हिजाब की बातें खुद मुस्लिम महिलाएं अस्वीकार कर रही हैं, लेकिन इस्लाम के ठेकदारों को ये बात अच्छी नहीं लग रही है। महसा अमीनी की मौत के बाद ईरान पिछले कई दिनों से हिजाब की आग में जल रहा है।

ईरानी महिलाओं के समर्थन में वाराणसी से भी महिलाओं ने आवाज उठाई है और हिजाब पर बैन को लेकर सवाल खड़े किए हैं। महिलाओं की अपनी पसंद की ड्रेस चुनने का अधिकार एक बात है और मजहब के नाम पर पैरों में बेड़ियां बांधना दूसरी बात। ईरान का प्रदर्शन इन्हीं बेड़ियों पर सवाल उठा रहा है। ईरान में 22 साल की महसा अमीनी की मौत के बाद से काफी हंगामा मचा है। विरोध प्रदर्शन के दौरान कई महिलाओं ने हिजाब जलाए, कुछ महिलाओं ने अपने बाल तक काट लिए।

ईरान में 22 साल की महसा अमीनी को हिजाब (Hijab) ना पहनने के कारण 13 सितंबर को पुलिस ने हिरासत में लिया था और फिर उनकी पिटाई की गई, जिससे वो कोमा में चली गई थीं। इस घटना के तीन दिन बाद महसा अमीनी ने दम तोड़ दिया। बताया गया कि वो अपने परिवार के साथ तेहरान घूमने गई थीं और इसी दौरान हिजाब न पहनने पर उन्हें हिरासत में लिया गया था। बहरहाल महसा अमीनी की मौत ने ईरान में मानवाधिकार और महिलाओं की आज़ादी के मसले को एक बार फिर से हवा दे दी है। ऐसे में सवाल ये भी है कि क्या भारत में धर्म के ठेकेदार इससे कुछ सीखेंगे?

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