लखनऊ, 19 मई। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य को हिन्दू देवी-देवताओं के खिलाफ टिप्पणी करने के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच से बड़ी राहत मिली है, जब उनके खिलाफ चल रहा केस खारिज कर दिया गया।
हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा कि बिना अभियेाजन स्वीकृति के निचली अदालत स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ उक्त कथित अपराध का प्रथम दृष्टया संज्ञान नहीं ले सकती थी। यह आदेश जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की बेंच ने स्वामी की ओर से दाखिल एक अर्जी पर पारित किया।
गौरतबल है कि स्वामी प्रसाद ने 21 सितम्बर, 2014 को कथित तौर पर हिन्दू देवी-देवताओं के खिलाफ टिप्पणी की थी। मौर्य उस समय बीएसपी से विधानसभा में नेता विरोधी दल के पद पर आसीन थे। उनकी टिप्पणी से आहत होकर सुल्तानुपर के एक वकील अनिल तिवारी ने वहां की अदालत में मौर्य के खिलाफ परिवाद दाखिल कर दिया था। उनका कहना था कि मौर्य का यह वक्तव्य हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला था।
परिवाद पर सुनवाई करके अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 20 नवंबर 2014 को मौर्य को आईपीसी की धारा 295 ए में विचारण के लिए तलब कर लिया था। आदेश के खिलाफ दायर मौर्य का रिवीजन भी 9 नवम्बर, 2015 को खारिज हो गया था। इसके बाद उन्होंने हाई केार्ट में याचिका दाखिल की थी।
मौर्य के वकील जेएस कश्यप का तर्क था कि जिस समय कथित भड़काने वाला वक्तव्य देने की बात कही जा रही है, उस समय मौर्य विधानसभा में नेता विरोधी दल थे। उनका तर्क था कि आईपीसी की धारा 295 ए के तहत बिना अभियोजन स्वीकृति के उनके खिलाफ निचली अदालत संज्ञान नहीं ले सकती थी। लिहाजा मौर्य के खिलाफ चल रहा केस खारिज होने योग्य है।