लखनऊ, 12 दिसम्बर। उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव की तारीखों के एलान पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मंगलवार, 13 दिसम्बर तक रोक लगा दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने चुनाव में ओबीसी को आरक्षण देने के मुद्दे पर दाखिल की गई याचिका पर सरकार से जवाब मांगा है।
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव ने ओबीसी को आरक्षण के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए सरकार से जवाब मांगा है। मंगलवार को हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में ओबीसी को आरक्षण देने के नियमों का पूरा ब्यौरा पेश किया जाएगा। इसके बाद मामले की सुनवाई होगी।
अटकलें लगाई जा रही थीं कि दो-तीन दिनों के भीतर नगर निकाय चुनाव की घोषणा हो सकती है। दरअसल, 17 नगर निगमों में मेयर पद के लिए दो सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित की गई हैं। इनमें एक सीट महिला के लिए रिजर्व की गई है। वहीं, चार सीटें पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित की गई हैं। इनमें भी दो सीटें महिला के लिए रिजर्व रखी गई हैं।
पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हैं 54 सीटें
राज्य में 200 नगर पालिका परिषद की सीटें हैं। इनमें अनुसूचित जाति के लिए 27 सीटें आरक्षित हैं जबकि पिछड़ा वर्ग के लिए 54 आरक्षित हैं। 79 सीटें अनारक्षित हैं जबकि महिला के लिए 40 सीटें आरक्षित की गई हैं।
17 नगर निगमों में से फिरोजाबाद, गाजियाबाद, लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर, वाराणसी, बरेली, और शाहजहांपुर अनारक्षित रखी गई हैं। अन्य सीटें आरक्षित की गई हैं।
नगर पंचायत अध्यक्ष की 545 सीटें
उधर, नगर पंचायत अध्यक्ष के लिए 545 सीटों की बात की जाए तो अनुसूचित जाति के लिए 73, अनुसूचित जनजाति (महिला) के लिए एक, पिछड़ा वर्ग के लिए 147 सीटें आरक्षित हैं। इसके लिए अनारक्षित सीटें 217 हैं जबकि महिला के लिए 107 सीटें आरक्षित रखी गई हैं।