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दार्जिलिंग में भारी बारिश से तबाही : सड़क संपर्क टूटा, भूस्खलन से सात लोगों की मौत, कई लापता

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दार्जिलिंग, 5 अक्टूबर। पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में मूसलाधार बारिश से व्यापक तबाही मची है। इससे बड़े पैमाने पर हुए भूस्खलन में कम से कम सात लोगों की मौत हो गई और क्षेत्र के कई गांवों का संपर्क टूट गया है। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दार्जिलिंग उपमंडल में मिरिक-सुखियापोखरी सड़क के पास हुए बड़े भूस्खलनों में से एक में घर बह गए और वाहनों की आवाजाही बाधित हो गई, जिससे आसपास के गांवों से संचार संपर्क टूट गया।

दार्जिलिंग के उपमंडल अधिकारी रिचर्ड लेप्चा ने एक न्यूज एजेंसी से कहा, ‘‘कल रात से हो रही भारी बारिश के कारण दार्जिलिंग उपमंडल में हुए बड़े भूस्खलन में कम से कम सात लोगों के मारे जाने की खबर है। हमारे पास अभी सटीक आंकड़े नहीं हैं, क्योंकि बचाव और राहत कार्य अभी शुरू हुआ है।’’ उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रशासन, पुलिस और आपदा मोचन दलों द्वारा बचाव एवं राहत कार्य जारी है।

जिल के अधिकारियों के अनुसार, बिष्णुलाल गांव, वार्ड 3 लेक साइड और जसबीर गांव सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं और इन इलाकों से छह लोगों की मौत की खबर है। एक चाय बागान में एक और व्यक्ति की मौत हो गई। कई घर और चाय बागान क्षतिग्रस्त हो गए या मलबे में दब गए। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हताहतों की वास्तविक संख्या का अभी सत्यापन किया जा रहा है, क्योंकि लगातार हो रही भारी बारिश के कारण प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंच बाधित हो गई है।

अधिकारी ने कहा, ‘‘इलाका फिसलन भरा है और कई घरों के क्षतिग्रस्त होने की खबरें हैं। नुकसान की सीमा का अभी पता नहीं चल पाया है।’’ उन्होंने कहा कि लगातार बारिश के कारण आपातकालीन वाहनों की आवाजाही बेहद मुश्किल हो गई है। अपुष्ट रिपोर्ट के अनुसार, मृतकों की संख्या 11 तक पहुंच सकती है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने छह अक्टूबर तक दार्जिलिंग और कलिम्पोंग सहित उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल में अत्यधिक भारी वर्षा की चेतावनी जारी की है। विभाग ने संतृप्त मिट्टी और खड़ी ढलान के कारण संभावित भूस्खलन और सड़क पर अवरोध उत्पन्न होने की भी चेतावनी दी है।

अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार रात से हो रही भारी बारिश के कारण पहाड़ियों पर मिट्टी का कटाव और छोटे भूस्खलन की कई घटनाएं हुई हैं, जिससे प्रमुख सड़कों के कई हिस्सों को नुकसान पहुंचा है और कई चाय बागान बस्तियां भी प्रभावित हुई हैं। जिला प्राधिकारियों ने विस्थापित परिवारों को भोजन और आश्रय प्रदान करने के लिए स्थानीय गैर सरकारी संगठनों के साथ समन्वय करके अस्थायी राहत शिविर स्थापित किए हैं और चिकित्सा दल तैनात किए हैं।

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