Site icon hindi.revoi.in

यूपी निकाय चुनाव : फिर टली सुनवाई, शीतकालीन अवकाश के बावजूद हाई कोर्ट शनिवार को करेगा केस की सुनवाई

Social Share

लखनऊ, 23 दिसम्बर। यूपी निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण मसले पर हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में शुक्रवार को भी सुनवाई नहीं हो सकी। अब शनिवार से शीतकालीन अवकाश शुरू हो रहा है। फिलहाल अवकाश में भी हाई कोर्ट इस मामले पर सुनवाई करेगा।

बताया जा रहा है कि हाई कोर्ट में नए केसों की ज्यादा संख्या होने के कारण पुराने केस पर आज सुनवाई नहीं हो सकी। माना जा रहा है कि अब शनिवार को किसी भी केस की सुनवाई नहीं होने के कारण हाई कोर्ट 12 बजे से पहले ही मामले पर सुनवाई शुरू कर देगा। ऐसे में फैसला भी कल पहले हाफ में आ जाने की उम्मीद है।

इससे पहले गुरुवार को भी सुनवाई नहीं हो सकी थी। गुरुवार को सभी याचिकाएं न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध थीं। समय की कमी के कारण याचिकाओं पर सुनवाई नहीं हो सकीं। अब सभी याचिकाओं पर शनिवार को सुनवाई होगी।

याचियों की दलील – सरकार द्वारा जारी ओबीसी आरक्षण अपने आप में गलत

अब तक हुई सुनवाई में याचियों की ओर से मुख्य रूप से यह दलील दी गई कि निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण ओबीसी वर्ग की राजनीतिक स्थिति का आकलन किए बिना नहीं तय किया जा सकता। वैभव पांडेय व अन्य याचियों की ओर से दर्ज की गई जनहित याचिका में वरिष्ठ अधिवक्ता एलपी मिश्र ने दलील दी कि सरकार द्वारा जिस तरह से ओबीसी आरक्षण जारी किया गया है, वह अपने आप में गलत है। उनका कहना था कि निकाय चुनावों में पिछड़े वर्ग को मिलने वाला आरक्षण नौकरियों अथवा दाखिले इत्यादि में दिए जाने वाले आरक्षण से भिन्न है।

यह एक राजनीतिक आरक्षण है, न कि सामाजिक, शैक्षिक अथवा आर्थिक

एलपी मिश्र ने कहा कि यह एक राजनीतिक आरक्षण है, न कि सामाजिक, शैक्षिक अथवा आर्थिक। उन्होंने दलील दी कि सर्वोच्च न्यायालय ने इसीलिए सुरेश महाजन मामले में ट्रिपल टेस्ट फार्मूले की व्यवस्था अपनाने का आदेश दिया क्योंकि ट्रिपल टेस्ट के जरिए ही पिछड़े वर्ग की सही राजनीतिक स्थिति का आकलन किया जा सकता है।

याची पक्ष की ओर से सरकार के रैपिड सर्वे को ट्रिपल टेस्ट फार्मूले जैसा मानने की दलील का विरोध करते हुए कहा गया कि सही स्थिति का आकलन इस उद्देश्य के लिए डेडिकेटेड कमेटी का गठन करके ही किया जा सकता है।

Exit mobile version