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स्वास्थ्य मंत्री मांडविया ने पूर्वोत्तर भारत में ड्रोन आधारित वैक्सीन वितरण प्रणाली का किया शुभारंभ

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नई दिल्ली, 4 अक्टूबर। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने सोमवार को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की पहल पर पूर्वोत्तर भारत में ‘ड्रोन आधारित वैक्सीन वितरण प्रणाली’ का शुभारंभ किया। दक्षिण एशिया में यह पहला मौका है, जब भारत निर्मित ड्रोन का प्रयोग कोविड टीका पहुंचाने में किया गया।

मनसुख मांडविया ने यहां निर्माण भवन में वचुर्अल माध्‍यम से इस योजना को लॉन्च किया। उन्होंने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि ड्रोन तकनीक वैक्सीन परिवहन के साथ-साथ, अंतिम मील तक स्वास्थ्य संबंधी आपूर्ति को गति देगी और जीवन रक्षक व आपातकालीन दवाओं की आपूर्ति के दायरे का विस्तार करेगी।

उन्होंने कहा कि टीकों की अंतिम छोर तक डेलिवरी सुनिश्चित करने की दिशा में यह कदम उठाया गया है। इससे भारत को टीकों को दूर-दराज और पहाड़ी क्षेत्रों में आसानी से पहुंचाकर टीकाकरण कवरेज बढ़ाने में मदद मिलेगी।

मणिपुर में ड्रोन तकनीक से 15 मिनट में 31 किमी तक पहुंचाए गए टीके

इस ड्रोन तकनीक के जरिए सोमवार को 15 मिनट में 31 किलोमीटर की दूरी तय कर बिष्णुपुर जिला अस्पताल से करंग स्वास्थ्य केंद्र, लोकतक झील, मणिपुर तक टीकों को पहुंचाया गया। इस दूरी को तय करने में आमतौर पर 3-4 घंटे लगते हैं।

मांडविया ने एक ट्वीट में कहा कि गत दो अक्टूबर को भारत गुजरात के भावनगर में ड्रोन के माध्यम से नैनो यूरिया का छिड़काव करने वाला पहला देश बन गया। अब चार अक्टूबर को भारत ने मणिपुर में 31 किमी के पार टीकों को दूर-दराज और पहाड़ी क्षेत्रों में आसानी से पहुंचाया।

वयस्‍कों की लगभग 70 प्रतिशत आबादी को कोविड का पहला टीका लगाया जा चुका

एक अन्य ट्वीट में मांडविया ने कहा कि देश में वयस्‍कों की लगभग 70 प्रतिशत आबादी को कोविड का पहला टीका लगाया जा चुका है। उन्‍होंने कहा कि सरकार मजबूत राष्‍ट्र, तेज टीकाकरण के मंत्र पर काम कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में देश कोविड महामारी के विरूद्ध संघर्ष में महत्‍वपूर्ण उपलब्धि हासिल कर रहा है। उन्‍होंने कोरोना के खिलाफ लडाई में सभी की भागीदारी पर बल दिया।

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