चंडीगढ़, 12 मार्च। हरियाणा भाजपा के अध्यक्ष और ओबीसी समुदाय के कद्दावर नेता नायब सिंह सैनी ने मंगलवार को राज्य के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में कमान संभाल ली। राजभवन में शाम को आयोजित एक समारोह में राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने 54 वर्षीय सैनी को सीएम पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई।
नायब सिंह सैनी ने शपथ से पहले मंच पर मौजूद पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के पैर छुए। सैनी साथ पिछली कैबिनेट के पांच मंत्रियों ने भी शपथ ली। इनमें कंवर पाल गुज्जर, मूलचंद शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री देवीलाल के बेटे रणजीत सिंह चौटाला, जयप्रकाश दलाल व डॉ. बनवारी लाल कैबिनेट का हिस्सा बने। मनोहर लाल खट्टर पार्ट-2 सरकार में कंवर पाल शिक्षा मंत्री थे जबकि मूलचंद शर्मा परिवहन मंत्री थे।
आप सभी को राम-राम
समस्त हरियाणावासियों को अपना परिवार मानकर सेवा करने का दायित्व जनकल्याण की शपथ के साथ ग्रहण किया है।
प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी का मार्गदर्शन,मोदी जी की गारंटी और भाजपा का सुशासन (अंत्योदय) ही हमारी सरकार का मूल मंत्र होगा।#ViksitBharatViksitHaryana pic.twitter.com/CLQdaTRcxK
— Nayab Saini (मोदी का परिवार) (@NayabSainiBJP) March 12, 2024
गौर करने वाली बात यह रही कि सत्तारूढ़ गठबंधन से नाता तोड़ने वाले दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) के चार विधायक भाजपा को समर्थन देने के लिए पहुंचे, लेकिन शपथग्रहण समारोह में पूर्व गृह मंत्री अनिल विज नहीं पहुंचे।
नायाब सिंह सैनी ने इससे पहले गर्वनर तत्तात्रेय से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया था। इस दौरान उनके साथ राष्ट्रीय महामंत्री तरुण चुघ, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और भाजपा के राज्य प्रभारी बिप्लब देब भी मौजूद रहे। वहीं, विधायक दल की बैठक में उन्हें नेता के रूप में चुन लिया गया।
सैनी फिलहाल कुरुक्षेत्र से मौजूदा सांसद हैं, लेकिन उन्हें राज्य का मुखिया बनते ही लोकसभा सांसद पद से इस्तीफा देना होगा। इसके साथ ही उन्हें अगले छह महीने में विधायक पद भी धारण करना होगा, अन्यथा नायब सैनी को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है।
सैनी की जगह नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति जल्द
इस बीच भाजपा पर्यवेक्षकों ने मीडिया को बताया कि प्रदेश अध्यक्ष पद पर सैनी की जगह जल्द ही नई नियुक्ति देगी। यह काम लोकसभा चुनाव 2024 और विधानसभा चुनाव से पहले होगा। वहीं विश्लेषकों का कहना है भाजपा अब राज्य चुनावों से पहले नेतृत्व में बदलाव करती है। सत्ता विरोधी लहर को दूर करने के लिए शीर्ष पर बदलाव करते हुए इससे पहले गुजरात और उत्तराखंड चुनावों से पहले इसी तरह के उपाय किए गए थे। दोनों ही राज्यों में भाजपा ने बड़ी जीत हासिल की थी।