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पेरिस पैरालम्पिक : हरविंदर ने रचा इतिहास, पैरालम्पिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय तीरंदाज

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पेरिस, 4 सितम्बर। हरविंदर सिंह ने पेरिस पैरालम्पिक खेलों में पदक स्पर्धाओं के सातवें दिन इतिहास रच दिया, जब वह स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय तीरंदाज बन गए। बुधवार को भारतीय दल के खाते में आया यह दूसरा पदक था। इसके पहले दिन में विश्व चैम्पियन गोला प्रक्षेपक सचिन सरजेराव खिलारी ने एशियाई रिकॉर्ड के साथ रजत पदक जीता था।

भारत अब तक 4 स्वर्ण सहित 22 पदक जीत चुका है

पैरालम्पिक के मौजूदा संस्करण में भारत अब तक 22 पदकों (चार स्वर्ण, आठ रजत, 10 कांस्य) के साथ तालिका में 15वें स्थान पर है। भारत का यह पैरालम्पिक खेलों में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। खेलों में अभी पदक स्पर्धाओं के चार दिन शेष हैं। रविवार, आठ सितम्बर को खेलों का समापन होगा।

सीडेड लुकास को हरा हरविंदर ने लगातार दूसरा पैरालम्पिक पदक जीता

टोक्यो पैरालम्पिक के कांस्य पदक विजेता नौवें वरीय हरविंदर ने दुनिया के 35वें नंबर के तीरंदाज और छठे वरीय पोलैंड के लुकास सिजेक को एकतरफा खिताबी मुकाबले में 6-0 (28-24, 28-27, 29-25) से शिकस्त दी। वस्तुतः हरविंदर ने दिन में लगातार पांच जीत के साथ स्वर्ण पदक अपने नाम किया और लगातार दूसरा पैरालम्पिक पदक जीता।

हरविंदर ने पहले सेट में नौ अंक के साथ शुरुआत की जबकि लुकास ने भी इसका जवाब नौ अंक के साथ दिया। हरविंदर का अगला निशाना 10 अंक पर लगा जबकि पोलैंड का तीरंदाज सात अंक ही जुटा पाया। भारतीय तीरंदाज ने इसके बाद नौ अंक के साथ पहला सेट 28-24 से अपने नाम किया।

दूसरे सेट में सिजेक ने तीनों निशाने नौ अंक पर मारे जबकि हरविंदर ने दो नौ और फिर अंतिम प्रयास में 10 अंक के साथ 28-27 से सेट जीतकर 4-0 की बढ़त बनाई। तीसरे सेट में भी हरविंदर हावी रहे। सिजेक के सात अंक के मुकाबले उन्होंने 10 अंक से शुरुआत की और फिर अगला निशाना भी 10 अंक पर लगाया। भारतीय तीरंदाज ने अंतिम प्रयास में नौ अंक के साथ 29-25 से सेट और स्वर्ण पदक जीत लिया।

फाइनल से पहले हरविंदर ने इन 4 दिग्गजों को शिकस्त दी

हरविंदर इससे पहले सेमीफाइनल में ईरान के मोहम्मद रेजा अरब अमेरी को 7-3 (25-26, 27-27, 27-25, 26-24, 26-25) से हराकर फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय तीरंदाज बने थे। उन्होंने क्वार्टरफाइनल में कोलम्बिया के दुनिया के नौवें नंबर के खिलाड़ी हेक्टर जूलियो रमीरेज को 6-2 से शिकस्त दी थी। इसके पूर्व चीनी ताइपे के सेंग लुंग हुई को 7-3 से पराजित करने के बाद हरविंदर ने प्री क्वार्टरफाइनल में इंडोनेशिया के सेतियावान सेतियावान को 6-2 से हराया था।

डेढ़ साल की वय में डेंगू के चलते पैरों की गतिशीलता चली गई थी

हरियाणा में अजीत नगर के किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले हरविंदर जब डेढ़ साल के थे तो उन्हें डेंगू हो गया था और इसके उपचार के लिए उन्हें इंजेक्शन लगाए गए थे। दुर्भाग्य से इन इंजेक्शन के कुप्रभावों से उनके पैरों की गतिशीलता चली गई।

कोविड-19 के दौरान खेत को ही बना दिया तीरंदाजी रेंज

हरविंदर शुरुआती चुनौतियों के बावजूद तीरंदाजी में आ गए और 2017 पैरा तीरंदाजी विश्व चैम्पियनशिप में पदार्पण में सातवें स्थान पर रहे। फिर 2018 जकार्ता एशियाई पैरा खेलों में स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहे और कोविड-19 महामारी के कारण लगे लॉकडाउन में उनके पिता ने अपने खेत को तीरंदाजी रेंज में बदल दिया ताकि वह ट्रेनिंग कर सकें।

सिमरन महिला 100 मीटर टी12 स्पर्धा के सेमीफाइनल में

इस बीच सिमरन शर्मा ने पहले दौर की हीट एक में शीर्ष पर रहते हुए महिला 100 मीटर T12 स्पर्धा के सेमीफाइनल में जगह बनाई। सिमरन 12.17 सेकेंड का सत्र का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए चार खिलाड़ियों की पहली हीट (शुरुआती दौर की रेस) में शीर्ष पर रहीं। समय से पहले जन्मी सिमरन दृष्टि बाधित हैं। वह कुल मिलाकर दूसरे स्थान पर रहीं।

पैरालम्पिक चैंपियन और विश्व रिकॉर्ड धारक क्यूबा की ओमारा डूरंड 16 खिलाड़ियों के बीच 11.87 सेकेंड के सत्र के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ शीर्ष पर रहीं। सेमीफाइनल गुरुवार को खेला जाएगा। T12 श्रेणी उन खिलाड़ियों के लिए है, जिनकी दृष्टि बाधित है।

टोक्यो पैरालम्पिक की रजत पदक विजेता भाविना बाहर

उधर महिला एकल टेबल टेनिस में भारत की चुनौती खत्म हो गई, जब टोक्यो पैरालम्पिक की रजत पदक विजेता भाविनाबेन पटेल क्लास 4 क्वार्टर फाइनल में चीन की यिंग झोउ से 1-3 से हार गई। टोक्यो पैरालम्पिक में रजत के साथ इस खेल में पदक जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनीं भाविनाबेन को 12-14, 9-11, 11-8, 6-11 से पराजय झेलनी पड़ी।

इससे पहले क्लास 3 में भारत की सोनलबेन पटेल को क्रोएशिया की एंडेला मुजिनिच विंसेटिच ने हराया। वहीं महिला युगल में भाविनाबेन और सोनलबेन क्वार्टर फाइनल में कोरिया की यंग ए जुंग व एस मून से हार गई। भाविनाबेन एक साल की उम्र से पोलियो से जूझ रही हैं। वह ह्वीलचेयर पर निर्भर खिलाड़ियों की श्रेणी में खेलती हैं।

निशानेबाज निहाल व रूद्रांक्ष फाइनल में नहीं पहुंच सके

वहीं शेटराउ में भारतीय निशानेबाज निहाल सिंह और रूद्रांक्ष खंडेलवाल मिश्रित 50 मीटर पिस्टल (SH1) स्पर्धा के फाइनल में पहुंचने में विफल रहे। पिछले वर्ष विश्व चैम्पियनशिप के कांस्य पदक विजेता निहाल छह सीरीज में 522 अंक के स्कोर से क्वालीफिकेशन दौर में 19वें स्थान पर पिछड़ गए।

अपने पहले पैरालम्पिक में हिस्सा ले रहे 17 वर्षीय रूद्रांक्ष 517 अंक के स्कोर से क्वलीफिकेशन दौर में 22वें स्थान पर रहे। रूद्रांक्ष आठ साल की उम्र में एक दुर्घटना में अपना बायां पैर गंवा बैठे थे। SH1 वर्ग में वो एथलीट हिस्सा लेते हैं, जिन्हें अपनी बंदूक उठाने में मुश्किल होती है और वे बैठकर (ह्वीलचेयर या कुर्सी पर) या खड़े होकर निशाना लगाते हैं। नियम के अनुसार SH1 वर्ग में एथलीट पिस्टल या राइफल का इस्तेमाल कर सकते हैं। भारतीय पैरा निशानेबाजों ने पेरिस पैरालम्पिक में अब तक चार पदक जीते हैं, जिसमें एक स्वर्ण और एक रजत शामिल है।

पावरलिफ्टर सकीना खातून सातवें, परमजीत आठवें स्थान पर

पावरलिफ्टर सकीना खातून और परमजीत कुमार अपने-अपने भार वर्ग में क्रमश: सातवें और आठवें स्थान पर रहते हुए पदक जीतने में नाकाम रहे। राष्ट्रमंडल खेल 2014 की कांस्य पदक विजेता 35 वर्षीया सकीना अपने तीन प्रयासों में केवल एक ही बार सफलतापूर्वक वजन उठा सकीं। महिलाओं की 45 किग्रा स्पर्धा में उनका सर्वश्रेष्ठ प्रयास 86 किग्रा रहा। वह अपने दूसरे और तीसरे प्रयास में क्रमशः 90 किग्रा और 92 किग्रा वजन उठाने में विफल रहीं।

एशियाई पैरा खेल 2018 की रजत पदक विजेता सकीना ने तीन वर्ष पहले टोक्यो खेलों में 93 किग्रा भार उठाया था। उन्हें बचपन में पोलियो हो गया था। चीन की लिंगलिंग गुओ ने 123 किग्रा का विश्व रिकॉर्ड बनाकर स्वर्ण पदक जीता।

उधर पुरुषों की 49 किग्रा स्पर्धा में परमजीत अपने पहले प्रयास में 150 किग्रा के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ नौ खिलाड़ियों के बीच आठवें स्थान पर रहे। दो साल की उम्र में दोनों पैरों में पोलियो होने के कारण परमजीत को बचपन से ही बैसाखी, ह्वीलचेयर और तिपहिया वाहन का सहारा लेना पड़ा। सकीना की तरह 2018 एशियाई पैरा खेलों के कांस्य पदक विजेता परमजीत भी सिर्फ एक बार वैध तरीके से भार उठा पाए।

पावरलिफ्टिंग उन खिलाड़ियों के लिए होता है, जिनके पैरों या कूल्हों में कोई शारीरिक कमी है, जो उन्हें सक्षम (खड़े होकर) भारोत्तोलन में प्रतिस्पर्धा करने से रोकती है। पावरलिफ्टिंग में केवल एक ही खेल वर्ग है, लेकिन खिलाड़ी अलग-अलग भार श्रेणियों में प्रतिस्पर्धा करते हैं।