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गाजा शांति समझौता होते ही हमास पुराने अंदाज में लौटा, इजराइली जासूस होने के शक में 52 लोगों की सरेआम हत्या की

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तेल अवीव, 14 अक्टूबर। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अगुआई में गाजा शांति समझौता होते ही हमास अपने पुराने अंदाज में लौट आया है। इस क्रम में हमास लड़ाकों ने न सिर्फ पूरे गाजा पर कब्जा जमा लिया है बल्कि इजराइली जासूस होने के शक में लोगों की सरेआम हत्याएं भी कर रहे हैं।

दगमूश कबीले के 52 सदस्य मारे गए

गाजा से मिली खबरों के अनुसार रविवार को हमास के सुरक्षा बलों के साथ झड़पों में शक्तिशाली दगमूश कबीले के 52 सदस्य मारे गए जबकि वरिष्ठ अधिकारी बासेम नईम के बेटे सहित 12 हमास आतंकवादी भी मारे गए।

हमास के आतंकवादियों ने कथित तौर पर उस कबीले के पड़ोस में एम्बुलेंस का इस्तेमाल किया, जिस पर उन्होंने इजराइल के साथ सहयोग करने का आरोप लगाया था। एक कबीले के सदस्य की बेटी ने वाईनेट न्यूज़ को बताया, ‘यह एक नरसंहार है। वे लोगों को घसीट रहे हैं, बच्चे चीख रहे हैं और मर रहे हैं, वे हमारे घर जला रहे हैं। हमने क्या गलत किया?’

इस क्रम में हमास ने सोमवार को गाजा में कम से कम 35 लोगों को सार्वजनिक रूप से मौत के घाट उतार दिया। बताया जा रहा है कि हमास ने यह काररवाई इजराइल के लिए कथित तौर पर जासूसी करने के लिए की है। इस घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर प्रसारित किया जा रहा है।

लोगों को सरेआम गोलियां मारते दिखे हमास लड़ाके

इस वीडियो में हमास लड़ाकों को आठ लोगों को बुरी तरह से पीटते हुए दिखाया गया। बाद में इन लोगों की आंखों पर पट्टियां बांधकर सड़क पर घुटनों के बल बैठाए हुए दिखाया गया। फिर हमास के बंदूकधारियों ने नारे लगा रही भीड़ के सामने उन्हें गोली मार दी। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, हमास ने बिना कोई सबूत दिए कहा कि इन हत्याओं का निशाना ‘इजराइल के कथित अपराधी और सहयोगी’ थे।

इजराइली मीडिया नेटवर्क ynet न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार मारे गए लोगों में अहमद जिदान अल-तरबीन भी शामिल था, जो कथित तौर पर एक प्रतिद्वंद्वी गैर-हमास-संबद्ध मिलिशिया में एजेंटों की भर्ती का काम देखता था। आईडीएफ की वापसी के बाद हमास ने गाजा पर अपना नियंत्रण फिर से स्थापित करने की कोशिश की है। इस दौरान उसने अपने विरोधियों को भी निशाना बनाना शुरू कर दिया है।

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