गुवाहाटी, 25 जून। भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के चुनाव पर गुवाहाटी हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। असम कुश्ती संघ की मांग पर यह रोक लगाई गई है।
गौरतलब है कि भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की तदर्थ समिति ने छह जुलाई को डब्ल्यूएफआई चुनाव कराने की घोषणा की थी। लेकिन कुछ अमान्य इकाइयों की दलीलें सुनने के बाद गत 21 जून को तदर्थ समिति ने चुनाव पांच दिनों के लिए आगे बढ़ा दिया था। नई तिथि के अनुसार चुनाव 11 जुलाई को होना था, लेकिन अब 11 जुलाई को भी चुनाव नहीं नहीं हो सकेगा।
दरअसल, पांच असंबद्ध राज्य निकायों ने चुनावों के लिए मतदान के अधिकार की मांग करते हुए सुनवाई में अपना मामला पेश किया था। इस कारण तदर्थ समिति को यह फैसला करना पड़ा था। हालांकि, असम कुश्ती संघ की किस मांग पर यह फैसला लिया गया है, इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है।
11 जुलाई तक इसलिए टाले गए थे चुनाव
गत बुधवार को तीन सदस्यीय समिति से महाराष्ट्र, हरियाणा, तेलंगाना, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में असंबद्ध राज्य निकायों द्वारा संपर्क किया गया था। इस समिति में उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एमएम कुमार शामिल हैं। समिति ने इन इकाइयों को सुनवाई के लिए बुलाया था।
राज्य इकाइयों ने अपना मामला पेश किया जबकि भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रतिनिधियों ने इन निकायों की संबद्धता रद करने के अपने फैसले का बचाव किया। पैनल को निर्णय लेने और आदेश तैयार करने के लिए समय चाहिए था, इसलिए चुनाव 11 जुलाई तक के लिए टाल दिए गए थे।
फिलहाल एशियाई खेलों व विश्व कुश्ती के ट्रायल्स में छूट को लेकर हो रहा बवाल
फिलहाल मौजूदा समय डब्ल्यूएफआई के पूर्व अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाले पहलवानों को एशियाई खेलों के ट्रायल्स में छूट दिए जाने पर जमकर बवाल हो रहा है। पहले पूर्व ओलंपिक पदक विजेता पहलवान योगेश्वर दत्त ने इसका विरोध किया था। इसके बाद कुछ और लोगों ने भी इसका विरोध किया। इस पर बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट, साक्षी मलिक समेत धरना दे रहे पहलवानों ने उन पर हमला बोला था।
हालांकि, अब यह मामला बढ़ गया है। कुछ लोग पहलवानों पर धरने की आड़ में छूट लेने के आरोप लगा रहे हैं। इस पर अब विनेश फोगाट ने चिट्ठी साझा कर पूरे मामले से पर्दा उठाया। उन्होंने लिखा कि ट्रायल्स में जो छूट धरना दे रहे पहलवानों को दी जा रही है, खेल मंत्रालय को लिखी गई चिट्ठी में इसकी मांग उन्होंने की ही नहीं थी।