अहमदाबाद, 1 जुलाई। गुजरात उच्च न्यायालय ने शनिवार को वर्ष 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित मामलों में कथित रूप से साक्ष्य गढ़ने और गवाहों को गुमराह करने के मामले में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी और उन्हें बिना किसी देरी के आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया।
जज निर्जर देसाई की बेंच ने सीतलवाड़ की जमानत याचिका खारिज करने के अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए उन्हें तुरंत आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया। वरिष्ठ वकील मिहिर ठाकोर ने अदालत से फैसले के कार्यान्वयन पर 30 दिनों की अवधि के लिए रोक लगाने की गुहार लगाई। लेकिन अदालत ने उनका अनुरोध ठुकरा दिया।
सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने के बाद साबरमतीजेल से रिहा हुई थीं तीस्ता
उल्लेखनीय है कि सीतलवाड़ और पूर्व शीर्ष पुलिस आरबी श्रीकुमार को कथित तौर पर सबूत गढ़ने, जालसाजी करने और आपराधिक साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 2002 के गुजरात दंगों के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंतरिम जमानत दिए जाने के बाद सितम्बर 2022 में तीस्ता को गुजरात की साबरमती जेल से रिहा कर दिया गया था।
गुजरात एटीएस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में यह भी कहा गया है कि गवाहों के झूठे बयान तीस्ता सीतलवाड़ द्वारा तैयार किए गए थे और दंगों की जांच के लिए गठित नानावती आयोग के समक्ष दायर किए गए थे।
एफआईआर के अनुसार, सीतलवाड़ और श्रीकुमार ने झूठे सबूत गढ़कर और निर्दोष लोगों के खिलाफ झूठी और दुर्भावनापूर्ण आपराधिक कार्यवाही शुरू करके कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने की साजिश रची थी।