अहमदाबाद, 18 मार्च। गुजरात सरकार ने श्रीमद्भगवद गीता को कक्षा 6-12 के स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय लिया है। इस संबंध में राज्य सरकार द्वारा जारी एक सर्कुलर में कहा गया है कि यह विचार ‘परंपराओं के प्रति गर्व और जुड़ाव की भावना पैदा करना’ है। सर्कुलर में यह भी कहा गया कि भारतीय संस्कृति और ज्ञानमीमांसा को स्कूली पाठ्यक्रम में इस तरह से शामिल किया जाना चाहिए, जो छात्रों के समग्र विकास के लिए अनुकूल हो।
छात्रों में श्रीमद्भगवद गीता के प्रति रुचि पैदा करने के लिए इसे पाठ्यक्रम में जोड़ा गया
गुजरात के शिक्षा मंत्री जीतू वघानी ने कहा, ‘श्रीमद्भगवद गीता के मूल्यों, सिद्धांतों और महत्व को सभी धर्मों के लोगों ने स्वीकार किया है। कक्षा 6 में श्रीमद्भगवद गीता को इस तरह से पेश किया जाएगा कि छात्रों में इसमें रुचि पैदा हो।’
जीतू वघानी ने कहा, ‘उन्हें (छात्रों) श्रीमद्भगवद गीता का महत्व बताया जाएगा। बाद में कहानियों को श्लोक, श्लोक गीत, निबंध, वाद-विवाद, नाटक, प्रश्नोत्तरी आदि के रूप में पेश किया जाएगा। सरकार द्वारा स्कूलों को सब कुछ प्रदान किया जाएगा।’
श्रीमद्भगवद गीता कक्षा 6-12 से पाठ्यक्रम में कहानियों और पाठ के रूप में पेश की जाएगी
राज्य सरकार की ओर से जारी सर्कुलर में बताया गया है कि श्रीमद्भगवद गीता कक्षा 6-12 से पाठ्य पुस्तकों में कहानियों और पाठ के रूप में पेश की जाएगी। कक्षा 9-12 के लिए, छात्रों को श्रीमद्भगवद गीता का गहन परिचय दिया जाएगा।
सर्कुलर के अनुसार श्रीमद्भगवद गीता पर श्लोक पाठ, निबंध, पेंटिंग, निबंध, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आदि होनी चाहिए। पाठ्यक्रम को ऑडियो विजुअल के साथ मुद्रित किया जाना चाहिए।” श्रीमद्भगवद गीता को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने के फैसले का कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) दोनों ने स्वागत किया है।
कांग्रेस का कटाक्ष – गुजरात सरकार को भी श्रीमद्भगवद गीता से ही सीखने की जरूरत
राज्य सरकार के इस कदम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता हेमंग रावल ने कहा, ‘हम श्रीमद्भगवद गीता को पाठ्यक्रम में शामिल करने के निर्णय का स्वागत करते हैं, लेकिन गुजरात सरकार को भी श्रीमद्भगवद गीता से ही सीखने की जरूरत है। भगवद स्पष्ट रूप से कहते हैं कि किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए सबसे पहले आपको उस स्थिति को स्वीकार करना होगा। गुजरात में शिक्षा की वर्तमान स्थिति क्या है? कुल 33,000 स्कूलों में से केवल 14 स्कूल ए-प्लस ग्रेड स्कूल हैं। शिक्षकों के लिए 18,000 पद खाली हैं और 6,000 स्कूल बंद हैं।’
उन्होंने आगे कहा, ‘गुजरात में स्कूल छोड़ने वालों की संख्या सबसे अधिक है और कई छात्र कक्षा 8 तक पढ़ना-लिखना भी नहीं जानते हैं। उम्मीद है कि सरकार उनके लिए भी कुछ करेगी। हम श्रीमद्भगवद्गीता को पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने का स्वागत करते हैं, लेकिन यह हम बचपन से सीखते आ रहे हैं।’
वहीं, गुजरात ‘आप’ के प्रवक्ता योगेश जादवानी ने राज्य सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, ‘हम गुजरात सरकार के फैसले का स्वागत करते हैं। इससे छात्रों को फायदा होगा।’