अहमदाबाद, 9 दिसम्बर। गुजरात में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गुरुवार को विधानसभा चुनाव में 156 सीटें जीतकर न सिर्फ राज्य के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी जीत का कांग्रेस का 37 वर्ष पुराना रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिया वरन बल्कि बड़े अंतर से
घाटलोडिया से लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए जीतने वाले मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 1.92 लाख से अधिक मतों से हराया। आठ सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों की जीत का अंतर एक लाख से डेढ़ लाख वोट के बीच रहा।
भाजपा की ओर लौटा पाटीदार समुदाय
गुजरात में आरक्षण आंदोलन की पृष्ठभूमि में 2017 के विधानसभा चुनाव में पाटीदार समुदाय के एक वर्ग ने भाजपा के खिलाफ मतदान किया था। लेकिन अब इस समूह का मतदाता सत्तारूढ़ पार्टी की ओर लौट आया है। सौराष्ट्र क्षेत्र में कांग्रेस ने 2017 में मोरबी, टंकारा, धोराजी और अमरेली की पाटीदार बहुल सीटों पर जीत हासिल की थी। हालांकि, ये
हार्दिक पटेल ने वीरमगाम सीट पर 50 हजार वोटों से दर्ज की जीत
पाटीदार बहुल सूरत में जहां आम आदमी पार्टी (आप) कुछ सीटें हासिल करने के लिए समुदाय पर निर्भर थी, लेकिन समूह ने बड़े पैमाने पर सत्ताधारी दल का समर्थन किया। सत्तारूढ़ पार्टी पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल को कांग्रेस से अपने पाले में लाई और उन्हें वीरमगाम विधानसभा सीट से मैदान में उतारा, जहां से उन्होंने भारी मतों के अंतर से जीत हासिल की।
नोटा के लिए पड़े वोटों में कमी आई
वहीं, गुजरात विधानसभा चुनाव में ‘नोटा’ के तहत पड़े वोट की हिस्सेदारी 2017 की तुलना में नौ प्रतिशत से अधिक घट गई है। निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार राज्य में इस चुनाव में 5,01,202 या 1.5 प्रतिशत वोट नोटा के थे, जो 2017 के विधानसभा चुनावों में पड़े 5,51,594 वोटों से कम हैं। खेड़ब्रह्मा सीट पर सबसे ज्यादा 7,331 नोटा वोट पड़े, उसके बाद दांता में 5,213 और छोटा उदयपुर में 5,093 वोट पड़े।